शुक्रवार, 7 मार्च 2014

इस तरह मत मरो

सरला माहेश्वरी

(अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सरला माहेश्वरी की कविता )


सुनो मेरी बच्चियों
इस तरह मौत को गले लगाकर
सिर्फ एक खबर की तरह मत मरो
मत होने दो
अपने दुखों, अभावों और मौत का उपयोग
एक सनसनीखेज खबर की तरह

उठो! खड़ी हो जाओ!
जो समझते हैं तुम्हें अपने पांव की धूल
तो फिर धूल बनकर ही उनकी आंखों में
किरकिरी की तरह रड़को
उठो मेरी बच्चियों!

अग्नि के सात फेरे लगाने भर में
मत सिमटाओ अपने जीने का अर्थ
तुम नहीं हो केवल भार्या
केवल भोग्या
केवल रमणी
केवल वंश वृद्धि का जरिया
बदल डालो
तुम्हारे खाते लिख दिये गये इन संबोधनों को
आओ
कई अक्षर खड़े हैं तुम्हारे इंतजार में
आओ
इन्हें जोड़कर
खुद को नया अर्थ, नया विधान दो।

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