चतुर्दिक

विषय पर केंद्रित होने पर स्वयं विषय का स्वरूप बदल जाता है (द्वंद्वात्मक भौतिकवाद में मनन का स्थान ) ; विकल्प का निर्विकल्प में विश्रांति ही तत्व है ; इस प्रकार उत्तरोत्तर विश्रांति के द्वारा अपना स्वरूप स्फुट होता है - यह शेष है ।

सोमवार, 15 दिसंबर 2025

कम्प्यूटर क्रांति महज युवाओं का मसला नहीं है

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-अरुण माहेश्वरी    जगदीश्वर चतुर्वेदी जी की ‘ कंप्यूटर क्रांति और युवा ‘ विषय पर वार्ता से ऐसा आभास हो रहा था कि जैसे यह कोई महज एक नैतिक...
गुरुवार, 27 नवंबर 2025

बंगाल में दुर्गा पूजा !

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  -अरुण माहेश्वरी  डा. शंभुनाथ इस उम्र में भी कोलकाता के पूजा पंडालों में घूमने का उत्साह और साहस रखते हैं, इसे उनकी फ़ेसबुक पोस्ट पर देख कर...
मंगलवार, 4 नवंबर 2025

सार्वभौमिक ठोस अपवाद (Universal Concrete Exceptions (UCE)

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-अरुण माहेश्वरी   हमने अपनी जापान यात्रा के वृत्तांत की अंतिम किस्त में अनायास ही ऐलान बाद्यू की पुस्तक Immanence of Truths में आई एक विशेष ...
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Arun Maheshwari
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