चतुर्दिक

विषय पर केंद्रित होने पर स्वयं विषय का स्वरूप बदल जाता है (द्वंद्वात्मक भौतिकवाद में मनन का स्थान ) ; विकल्प का निर्विकल्प में विश्रांति ही तत्व है ; इस प्रकार उत्तरोत्तर विश्रांति के द्वारा अपना स्वरूप स्फुट होता है - यह शेष है ।

मंगलवार, 24 जून 2025

सेंसरशिप आप पर भरोसे की कमी का द्योतक है

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- प्रो. प्रतापभानु मेहता कल (23 जून ) शाम कोलकाता में हमारे समय के एक प्रमुख भारतीय विचारक प्रोफेसर प्रतापभानु मेहता को सुनने और कुछ बातचीत ...
गुरुवार, 19 जून 2025

शर्म तो ज्ञान पर आएगी, न कि अंग्रेज़ी पर !

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−अरुण माहेश्वरी आज के ‘टेलिग्राफ’ के अनुसार अमित शाह ने कहा है कि लोग अंग्रेज़ी बोलने से जल्द ही शर्म करेंगे; अर्थात् हमारे अनुसार लोग अपने ...
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सोमवार, 16 जून 2025

यह है ‘सभ्यताओं के संघर्ष’ और ‘इतिहास का अंत’ का तात्त्विक रूप !

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-अरुण माहेश्वरी   13 जून 2025 की सुबह, जब इज़राइल के स्टील्थ जेट्स ने इरान की परमाणु सुविधाओं, नटांज़ और फोर्डो, पर सटीक बमबारी की, तो यह एक...
शनिवार, 14 जून 2025

नीलकांत जी का देहांत

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-अरुण माहेश्वरी   ( प्रख्यात जनवादी कथाकार-आलोचक नीलकांत का 14 जून 2025 की सुबह 90 साल की उम्र में निधन हो गया है। वे उस पीढ़ी के कथाकार और ...
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मंगलवार, 10 जून 2025

प्रमाता की गति और सिंथोम*

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(सत्य के बरक्स प्रमाता के चित्त की एक नई त्रिकोणात्मक संरचना की प्रस्तावना) −अरुण माहेश्वरी “वर्तमान भू-राजनीति का एक नया मनोविश्लेषणात्मक र...
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