-सरला माहेश्वरी
लो दे दिया !
हाँ ! हाँ ! दे दिया है
सरकार ने तुम्हें उपहार !
कृषि मंत्रालय का नाम बदलकर
कर दिया है
"कृषि विकास और किसान कल्याण "
अब तो ख़ुश हो ना !
दिला रहे हैं, मुझे विश्वास !
अब नहीं होगी मुझे कोई चिंता-फ़िकर !
नया नाम कर देगा मेरा कल्याण !
सोच रहा हूँ
मैं ग़रीब, गँवार किसान
मैंने भी तो रखे थे कई नाम
पर मुश्किलें नहीं हुई आसान
पहले बेटे को
नाम दिया था, धनपत
पर रहा ग़रीब का ग़रीब
बदला नहीं कभी उसका नसीब
दूजा बेटा, जीतेन्द्र
पर रहा हमेशा
हारा ही हारा
आख़िर जीवन से भी गया हार
मेरे मालिक !
कैसे करूँ विश्वास, आपके दिये इस नाम का !
नाम से कहाँ बदलती है क़िस्मत !
नहीं बरसती "अच्छे दिन" की रहमत !
आपने तो पहले भी कहा था "फ़ील गुड" !
पर मुझे तो ये चुभता रहा जैसे कोई कील !
किसान क्रेडिट कार्ड
शाइनिंग इंडिया
जन-धन योजना
कितने नाम, कितने फ़रमान !
सब लेते रहे मेरा ही बलिदान !
और अब आपने नाम भी दिया तो इतना बोदा नाम !
'कल्याण', यहाँ भी पिछड़ा ही रख दिया !
कहाँ डिजिटल इंडिया और कहाँ 'कल्याण'
निर्मल बाबा के दरबार की कृपा जैसा !
हँसता था पोता मेरा !
अब आप ही बताइये कैसे भरोसा करूँ ?
कम से कम नाम तो फ़र्राटेदार अंग्रेज़ी में रख देते
आप तो इसमें उस्ताद हैं
जैसे स्किल इंडिया
स्टार्ट-अप इंडिया
स्टैंड-अप इंडिया
टीम इंडिया
चलिये कोई बात नहीं
मेरे लिये तो आप बस
इतना ही कर दो
कि ... ...
खड़ा रह सकूँ अपनी ज़मीन पर
कर के गर्व से ऊँचा सर
नहीं डरा पाये मुझे कोई शैतान
हरा-भरा रहे मेरा खेत-खलिहान
कर दो बस इतना ही उपकार ।
क्या रखा है नाम में !
लो दे दिया !
हाँ ! हाँ ! दे दिया है
सरकार ने तुम्हें उपहार !
कृषि मंत्रालय का नाम बदलकर
कर दिया है
"कृषि विकास और किसान कल्याण "
अब तो ख़ुश हो ना !
दिला रहे हैं, मुझे विश्वास !
अब नहीं होगी मुझे कोई चिंता-फ़िकर !
नया नाम कर देगा मेरा कल्याण !
सोच रहा हूँ
मैं ग़रीब, गँवार किसान
मैंने भी तो रखे थे कई नाम
पर मुश्किलें नहीं हुई आसान
पहले बेटे को
नाम दिया था, धनपत
पर रहा ग़रीब का ग़रीब
बदला नहीं कभी उसका नसीब
दूजा बेटा, जीतेन्द्र
पर रहा हमेशा
हारा ही हारा
आख़िर जीवन से भी गया हार
मेरे मालिक !
कैसे करूँ विश्वास, आपके दिये इस नाम का !
नाम से कहाँ बदलती है क़िस्मत !
नहीं बरसती "अच्छे दिन" की रहमत !
आपने तो पहले भी कहा था "फ़ील गुड" !
पर मुझे तो ये चुभता रहा जैसे कोई कील !
किसान क्रेडिट कार्ड
शाइनिंग इंडिया
जन-धन योजना
कितने नाम, कितने फ़रमान !
सब लेते रहे मेरा ही बलिदान !
और अब आपने नाम भी दिया तो इतना बोदा नाम !
'कल्याण', यहाँ भी पिछड़ा ही रख दिया !
कहाँ डिजिटल इंडिया और कहाँ 'कल्याण'
निर्मल बाबा के दरबार की कृपा जैसा !
हँसता था पोता मेरा !
अब आप ही बताइये कैसे भरोसा करूँ ?
कम से कम नाम तो फ़र्राटेदार अंग्रेज़ी में रख देते
आप तो इसमें उस्ताद हैं
जैसे स्किल इंडिया
स्टार्ट-अप इंडिया
स्टैंड-अप इंडिया
टीम इंडिया
चलिये कोई बात नहीं
मेरे लिये तो आप बस
इतना ही कर दो
कि ... ...
खड़ा रह सकूँ अपनी ज़मीन पर
कर के गर्व से ऊँचा सर
नहीं डरा पाये मुझे कोई शैतान
हरा-भरा रहे मेरा खेत-खलिहान
कर दो बस इतना ही उपकार ।
क्या रखा है नाम में !
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