बुधवार, 3 मई 2017

सोनिया गांधी की एक स्वागत योग्य पहलकदमी ; आम आदमी पार्टी को भी इसमें छोड़ा न जाए

(सांप्रदायिक फासीवाद के ख़तरे के खिलाफ धर्म-निरपेक्ष दलों का महागठबंधन )
-अरुण माहेश्वरी



कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने, जो अपनी बीमारी की वजह से ही क्यों न हो, पिछले कईं दिनों से अपने को सक्रिय राजनीति से दूर रखती हुई दिखाई दे रही थी और कांग्रेस दल की बागडोर को पूरी तरह से राहुल गांधी को सौंप देने की तैयारियाँ हो चुकी थी, राष्ट्रीय राजनीति की वर्तमान नाज़ुक परिस्थिति में, जब हमारे देश का धर्म-निरपेक्ष और जनतांत्रिक संविधान ही दाव पर लगा हुआ दिखाई दे रहा है, अपने ऐसे निजी फ़ैसलों को एक बार के लिये दरकिनार करते हुए जनतंत्र और धर्म-निरपेक्षता की एक नई लड़ाई के लिये कमर कस कर उतर जाने की तैयारी कर ली है ।

आगामी जुलाई महीने में राष्ट्रपति के चुनाव को केंद्र में रखते हुए देश की सभी ग़ैर-भाजपा पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व के साथ उन्होंने वार्ताओं का जो सिलसिला शुरू किया है, उसके बारे में बिल्कुल सही कहा जा रहा है कि यह पहलकदमी सिर्फ राष्ट्रपति चुनाव के लिये नहीं, बल्कि संविधान की रक्षा के लिये मोदी जी की भाजपा के खिलाफ देश की सभी जनतंत्र-प्रेमी और धर्म-निरपेक्ष पार्टियों के एक व्यापकतम संयुक्त मोर्चा के निर्माण की दिशा में की जा रही पहलकदमी है ।

अब तक इस विषय में सोनिया गांधी ने व्यक्तिगत रूप से शरद पंवार, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, शरद यादव, मायावती, ममता बनर्जी, सीताराम येचुरी, मुलायम सिंह यादव, एम के स्तालिन, ओमर अब्दुल्ला आदि से बात कर ली है । राहुल गांधी ने अखिलेश यादव से अलग से भी बात की है । इनके अलावा साफ शब्दों में कहा जा रहा है कि इस मोर्चे में शामिल होने के लिये शिव सेना, बीजू जनता दल, एआईएडीएमके, तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेताओं से भी अपील की जायेगी ।


ग़ौर करने की बात यह है कि सीताराम येचुरी ने यह भी कहा है कि ममता बनर्जी के प्रति उनके गहरे मतभेदों के बावजूद इन मतभेदों को वे ऐसे व्यापक मोर्चे के आड़े नहीं आने देंगे । इस मामले में किसी में भी कोई उलझन नहीं है कि इस मोर्चे के घटक यदि किसी क्षेत्र में एक दूसरे के खिलाफ संघर्ष करते हैं, तब भी राष्ट्र के संवैधानिक ढाँचे का रक्षा के लिये बन रहे व्यापक राष्ट्रीय मोर्चे में किसी प्रकार की कोई बाधा नहीं आएगी ।

इसमें कोई शक नहीं है कि मोदी-शाह की जन-विरोधी और जनतंत्र-विरोधी करतूतों के खिलाफ इस प्रकार का राष्ट्र- व्यापी महागठबंधन ही भारत में जनतांत्रिक राजनीति के भविष्य का कोई नया रास्ता तैयार कर सकता है । हम इस पहलकदमी का तहे-दिल से स्वागत करते हैं । इसके साथ ही इस मोर्चे में आम आदमी पार्टी को भी शामिल करने की कोशिश किये जाने की एक अतिरिक्त माँग भी रखते हैं ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें