मंगलवार, 25 सितंबर 2018

आधार पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की पूर्वसंध्या में निर्णय का एक पूर्वाकलन



कल (26 सितंबर) आधार कार्ड पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक होगा ।

निजता का अधिकार हमारे देश के संविधान में नागरिक के एक मूलभूत अधिकार के तौर पर स्वीकृत हो चुका है । आधार कार्ड और उसके जरिये सरकार के द्वारा ली जा रही नागरिकों के बारे में तमाम सूचनाएं नागरिक के निजता के अधिकार में सीधे दखलंदाजी का एक रास्ता तैयार करती है । इसे अभी से जिस प्रकार बैंक खातों से लेकर अन्य सभी सरकारी, गैर-सरकारी विषयों के साथ अनिवार्य रूप से जोड़ दिया जा रहा है, वह इसके जरिये नागरिक की निजता में सरकार और बैंकों की दखलंदाजी का सबसे ठोस प्रमाण भी है । अर्थात आधार के जरिये नागरिक की निजता में सेंध लगाने का रास्ता ही नहीं बन रहा है, यथार्थ में उसका हनन व्यापक पैमाने पर शुरू भी हो चुका है ।

हेगेल ने कहा था - स्वर्ग का उल्लू रात के अंधेरे के उतरने के बाद ही उड़ान भरता है । रात का अंधेरा उतर चुका है ।

कल यदि आधार के बारे में मोदी सरकार की राय को सुप्रीम कोर्ट से स्वीकृति मिलती है तो यह भारत के नागरिकों के लिये इतिहास का एक सबसे काला दिन होगा । इसके जरिये एक ऐसे दमनकारी राज्य के निर्माण का रास्ता खुलेगा जो किसी भी नागरिक के अस्तित्व तक को इस एक कार्ड के जरिये खारिज कर सकता है ; किसी भी नागरिक के जीवन को बिना किसी विशेष हलचल के ही असंभव बना सकता है । यह नागरिक जीवन के प्रत्येक निजी या सार्वजनिक पहलू पर सख्त नजरदारी रखने वाले राज्य के उदय का श्रीगणेश होगा । ऐसा राज्य हमारे संविधान में नागरिक की निजता के अधिकार की मूलभूत प्रतिश्रुति के विरुद्ध होगा ; वह संविधान के विरुद्ध होगा ।

इसीलिये हम पूरे विश्वास से कह सकते हैं कि कल सुप्रीम कोर्ट आधार कार्ड की खास तौर पर ऐसे सभी मामलों में, जिनमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है, मसलन् बैंक खातों या रेलवे-हवाई टिकटों, विदेश यात्राओं के लिये पासपोर्ट हासिल करने, कोई संपत्ति की खरीद-बिक्री करने, आयकर रिटर्न भरने आदि के लिये, अनिवार्यता को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर देगा ।

आधार को सिर्फ और सिर्फ किसी सरकारी राहत पाने के लिये इस्तेमाल किया जा सकेगा, लेकिन हर नागरिक के पास आधार कार्ड होने की अनिवार्यता समाप्त कर दी जायेगी ।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट आधार के डाटा किसी अन्य पक्ष के पास तक न पहुंच सके, इसके लिये सरकार को सख्त हिदायतें भी देगा । इन सूचनाओं के लीक होने की स्थिति में संबद्ध विभाग के अधिकारियों को कड़े से कड़े दंड की भी सुप्रीम कोर्ट अनुशंसा कर सकता है ।

हमारा मानना है कि कल का दिन मोदी कंपनी को सुप्रीम कोर्ट की एक करारी चपत का दिन होगा जिसने आधार कार्ड को नागरिक की गुलामी के फंदे का रूप देने की साजिश रची है ।

यह हमारी कोरी अटकलबाजी नहीं, आधुनिक न्याय विवेक की हमारी समझ के आधार पर किया गया एक ठोस आकलन है । इस फैसले की हमें अधीरता से प्रतीक्षा रहेगी ।

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