आम आदमी पार्टी (आप) भारत में आज के समय का एक वास्तविक युगांतकारी जन-आंदोलन है। जन-भावनाओं की अभिव्यक्ति का व्यापकतम मंच।
भारत की आजादी की लड़ाई के दिनों में जो स्थिति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की थी अथवा 1970 के दशक के प्रथमार्द्ध में जो स्थिति जेपी आंदोलन की थी, आजके भारत में वही स्थिति ‘आप’ आंदोलन की है।
इस आंदोलन ने समाज के रंध्र-रंध्र में फैल चुके भ्रष्टाचार के कैंसर का मुद्दा उठाया है, इसने अंबानियों-अडानियों के विरोध के जरिये देशी-विदेशी इजारेदारों द्वारा की जारही खुली लूट का विषय उठाया है, इसने पूंजीपतियों-राजनीतिज्ञों-नौकारशाहों की दमघोटूं धुरी का प्रश्न उठाया है, इसने राज्य और राजनीतिक दलों को जड़ बना रही नौकरशाही जकड़नों के सवाल को भी सामने लादिया है।
इसके अलावा, यह आंदोलन आदमी के मन और मस्तिष्क पर अपना पूर्ण नियंत्रण कायम करने पर आमादा भारत के बिकाऊ मीडिया के खिलाफ लगातार प्रसारवान सामाजिक मीडिया के जरिये आदमी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बचाये रखने का आंदोलन भी है।
आज के जमाने के हर मानदंड पर यह आंदोलन अपने मूल उद्देश्य और व्याप्ति, दोनों ही लिहाज से इस युग के साथ पूरी तरह मेल खाता हुआ जन-आंदोलन है। सारी दुनिया में ऐसे युगांतकारी जन-आंदोलनों के उभार की अनेक मिसालें हमारे सामने हैं।
आज ‘आप’ के इस आंदोलन को देश की वर्तमान राजनीतिक संस्थाओं के प्रति अपना रुख तय नहीं करना है, बल्कि दक्षिण हो या वाम, सभी राजनीतिक दलों को इस आंदोलन के बरक्स अपनी स्थिति को परिभाषित करना है। युगांतकारी आंदोलन का तात्पर्य यही है।
भ्रष्टाचार, अंबानी-अडानी की लूट, राजनीतिज्ञ-नौकरशाही-पूंजीपति की आततायी धुरी और आदमी की आवाज को दबा देने के काम में लगे भ्रष्ट मीडिया के खिलाफ इस विशाल आंदोलन के बीच से ही नये भारत की नयी तस्वीर बनेगी।
हमारा यही मानना है।
भारत की आजादी की लड़ाई के दिनों में जो स्थिति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की थी अथवा 1970 के दशक के प्रथमार्द्ध में जो स्थिति जेपी आंदोलन की थी, आजके भारत में वही स्थिति ‘आप’ आंदोलन की है।
इस आंदोलन ने समाज के रंध्र-रंध्र में फैल चुके भ्रष्टाचार के कैंसर का मुद्दा उठाया है, इसने अंबानियों-अडानियों के विरोध के जरिये देशी-विदेशी इजारेदारों द्वारा की जारही खुली लूट का विषय उठाया है, इसने पूंजीपतियों-राजनीतिज्ञों-नौकारशाहों की दमघोटूं धुरी का प्रश्न उठाया है, इसने राज्य और राजनीतिक दलों को जड़ बना रही नौकरशाही जकड़नों के सवाल को भी सामने लादिया है।
इसके अलावा, यह आंदोलन आदमी के मन और मस्तिष्क पर अपना पूर्ण नियंत्रण कायम करने पर आमादा भारत के बिकाऊ मीडिया के खिलाफ लगातार प्रसारवान सामाजिक मीडिया के जरिये आदमी की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बचाये रखने का आंदोलन भी है।
आज के जमाने के हर मानदंड पर यह आंदोलन अपने मूल उद्देश्य और व्याप्ति, दोनों ही लिहाज से इस युग के साथ पूरी तरह मेल खाता हुआ जन-आंदोलन है। सारी दुनिया में ऐसे युगांतकारी जन-आंदोलनों के उभार की अनेक मिसालें हमारे सामने हैं।
आज ‘आप’ के इस आंदोलन को देश की वर्तमान राजनीतिक संस्थाओं के प्रति अपना रुख तय नहीं करना है, बल्कि दक्षिण हो या वाम, सभी राजनीतिक दलों को इस आंदोलन के बरक्स अपनी स्थिति को परिभाषित करना है। युगांतकारी आंदोलन का तात्पर्य यही है।
भ्रष्टाचार, अंबानी-अडानी की लूट, राजनीतिज्ञ-नौकरशाही-पूंजीपति की आततायी धुरी और आदमी की आवाज को दबा देने के काम में लगे भ्रष्ट मीडिया के खिलाफ इस विशाल आंदोलन के बीच से ही नये भारत की नयी तस्वीर बनेगी।
हमारा यही मानना है।
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