गुरुवार, 11 मई 2017

कश्मीरी जनता का विलगाव अभी अपने चरम पर है


-अरुण माहेश्वरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में मुसलमान-विरोधी विद्वेष को देश भर में तेजी से फैलाने में लगे आरएसएस के प्रतिनिधि राम माधव, जंगखोर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभल और कश्मीर को एक दुश्मन क्षेत्र मान कर ईट का जवाब पत्थर से देने के लिये लालायित सेनाध्यक्ष विपिन रावत की तिकड़ी ने मिल कर कश्मीर की जनता को पूरी तरह से भारत-विरोधी बना दिया है।


पाकिस्तान पहले जहां था, वहीं आज भी है और कश्मीर के मुट्ठी भर पाकिस्तान-परस्त अलगाववादियों की स्थिति में भी कोई परिवर्तन नहीं आया है। लेकिन मोदी-महबूबा शासन में जो बदला है वह है कश्मीर के नौजवानों की नई पीढ़ी। अब तक ये नौजवान ही कश्मीर की आशा थे। ये ही अलगाववादियों के मंसूबों के रास्ते की सबसे बड़ी बाधा थे। लेकिन पिछले तीन साल से पूरे देश में चल रही अल्पसंख्यक-विरोधी राजनीति और कुछ जगहों पर कश्मीरी छात्रों और लोगों पर हुए हमलों ने भारत में अपने भविष्य को देखने वाली इसी पीढ़ी को सबसे अधिक हताश किया है। अभी के कश्मीर के आंदोलन का नेतृत्व इसी पीढ़ी के हाथ में हैं।


‘फ्रंटलाइन’ पत्रिका के ताजा अंक ( 26 मई 2017 ) में आज के कश्मीर के बारे में लगभग पचीस पन्नों की सामग्री का एक-एक शब्द इन्हीं बातों की गवाही दे रहा है। कश्मीर के नौजवानों ने सेना में कश्मीरी लेफ्टिनेंट उमर फैयाज की कुलगाम के उनके घर में घुस कर आतंकवादियों द्वारा की गई हत्या पर गहरा रोष जाहिर किया है। उनका यह गुस्सा ही उनके दिलों की सच्चाई को बताता है। लेकिन उनके प्रति दुश्मनों वाला रवैया अपना कर, बंदूक के बल उनका दमन करके और पूरे देश में उनके खिलाफ जहरीला वातावरण तैयार करके इस सच्चाई को कभी भी सामने नहीं लाया जा सकता है।

उमर फैयाज की हत्या इस बात का सबूत है कि आज के कश्मीर में सेना और पुलिस का कोई भी आदमी अकेले में महफूज नहीं रह गया है। रिपोर्ट के अनुसार फैयाज की हत्या जिस इन्सास राइफल से हुई है, वह सेना के जवानों से छीनी गई राइफल है। आज केे ‘टेलिग्राफ’ की रिपोर्ट बताती है कि पिछले साल के जुलाई महीने में बुरहान वानी की हत्या के बाद से अब तक सुरक्षा बलों से ऐसी लगभग 40 राइफलें छिनी जा चुकी है।


कश्मीर तभी फिर से पटरी पर आ सकता है जब वहां सेना और पुलिस अपने दमनकारी रवैये को छोड़ेगी, पूरे भारत में आरएसएस जो मुसलमान-विरोधी जहर फैलाने में लगा हुआ है, उस पर रोक लगेगी और कश्मीर के नौजवानों को भारत में अपना भविष्य दिखाई देगा। हम नहीं जानते मोदी सरकार इस दिशा में एक भी कदम उठाने में सक्षम है या नहीं !


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