एक ओर,
मोदी की चमक ख़त्म हो रही है ; भाजपा को मोदी पार्टी से अब सभी पार्टियों के कूड़ा-कर्कट की पार्टी बना दिया गया है ; देश-विदेश सब जगह से कहा जाने लगा है कि मोदी बनने-ठनने में और भाषणबाजियों में समय जाया करने के बजाय ढंग के कामों पर अपना ध्यान लगाए; यह साबित करें कि उन्हें देश चलाना आता है ।
दूसरी ओर,
आने वाले दिनों में सुप्रीम कोर्ट से इस सरकार को एक के बाद एक बड़े थप्पड़ लगने वाले हैं :
- ‘आधार कार्ड’ को तमाम सेवाओं को पाने के लिये बाध्यतामूलक बनाने के फैसले को खारिज किया जायेगा । इस पूरी स्कीम को ‘निजता के अधिकार’ की रोशनी में ग़ैर-क़ानूनी माना जायेगा ।
- नोटबंदी के नाम पर की गई नोट-बदली की योजना से किसी को भी उसके पुराने नोट की जगह नये नोट न देने के सरकार के फैसले को ग़लत बताते हुए रिजर्व बैंक को सबके रुपये जमा लेने का निर्देश दिया जायेगा ।
- जीएसटी में तकनीकी ख़ामियों के कारण सरकार से कहा जायेगा कि उसके अनुपालन में कमी के लिये किसी को भी दंडित नहीं किया जा सकता है ।
- जजों की नियुक्तियों में सरकार की नाक घुसेड़ने की सारी कोशिशों को रोका जाएगा ।
अर्थात्, करने के नाम पर आज तक इस सरकार ने जो तमाम मूर्खतापूर्ण काम किये हैं, उन सबको ग़ैर-क़ानूनी घोषित किया जाएगा । इनके अलावा सीबीआई के डायरेक्टर की तरह की कई नियुक्तियाँ भी इसी बीच ग़लत मानी जाएगी ।
आम लोगों के बीच लगातार बदनाम हो रही सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की उपरोक्त सभी राय, और भाजपा के कई नेताओं पर अपराधी मुक़दमों की शुरूआत, व्यापमं मामले में शिवराज सिंह के नाम को शामिल करने अथवा योगी पर चल रहे अपराधी मुक़दमों के उठ खड़े होने और अमित शाह के बेटे जयंत शाह के निजी मुक़दमे के लिये गुजरात की सरकार के संसाधनों के प्रयोग को ग़लत क़रार दिये जाने आदि के फ़ैसलों से कुल मिला कर ऐसा संयोग बनता दिखाई देता है, जिसमें 2019 आते-आते कांग्रेस और सभी विपक्षी दलों का मोदी सरकार के विरुद्ध ऐसा अभियान चलेगा, जिसकी आंधी को पंगु सरकार नहीं संभाल पायेगी । 2019 के पहले ही मोदी सरकार सूखे पत्तों की तरह झड़ती हुई दिखाई देने लगेगी ।
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