गैब्रियल गार्सिया मारक्वेज, दुनिया के महान कथाकारों-उपन्यासकारों का शायद आखिरी स्तंभ, आज ढह गया। सारी दुनिया के कहानी प्रेमी लोग उनकी मृत्यु पर शोक मना रहे है। अब कौन सुनायेगा, इतने धीरज के साथ आदमी के जीवन के रहस्यों की रोमांचक कथाओं को ! नानी-दादी की कहानियों के दिन तो कभी के लद चुके थे। लिखित पाठों ने कथा की न जाने कितनी पर्तों को महसूस करने का दरवाजा खोला था। लेकिन अब, उसकी जगह, आंखों के सामने से तत्काल गुजर जाने वाले दृश्यों ने क्या लेना शुरू किया है, ठहर कर लुत्फ लेने, दूसरों की कथा को खुद जीने का मौका ही जैसे छीन लिया जा रहा है। मारक्वेज ने इसीलिये अपने सबसे अधिक बिकने वाले उपन्यास ‘वन हन्ड्रेड ईयर्स ऑफ सालिच्यूड’ पर किसी को कोई फिल्म बनाने की अनुमति नहीं दी, जबकि इसके एवज में उन्हें करोड़ों डालर की कीमत देने के लिये लोग तैयार थे। वे अपने पाठ को किसी सगुण रूप में ढाल कर स्थिर और एकार्थी बना देने के लिये तैयार नहीं थे।
बहरहाल, लगभग 20 साल पहले हमने उनके एक लंबे साक्षात्कार ‘लेखक की रसोई’ का हिंदी अनुवाद किया था। यह साक्षात्कार किसी भी लेखक के लिये लेखन के प्रशिक्षण शिविर से कम महत्वपूर्ण नहीं है। उसे हम यहां अपने मित्रों के साथ साझा कर रहे हैं।
बहरहाल, लगभग 20 साल पहले हमने उनके एक लंबे साक्षात्कार ‘लेखक की रसोई’ का हिंदी अनुवाद किया था। यह साक्षात्कार किसी भी लेखक के लिये लेखन के प्रशिक्षण शिविर से कम महत्वपूर्ण नहीं है। उसे हम यहां अपने मित्रों के साथ साझा कर रहे हैं।
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