आज हम एक अभूतपूर्व कृषि संकट के मुहाने पर पहुंच चुके हैं। प्रतीकों और लफ्फाजियों में जीने वाली मोदी सरकार गांवों में अकाल और सूखे का भी नया नामकरण करके इसकी विकराल सचाई को छिपाने में लगी हुई है। इस सरकार के विशेषज्ञ अब अकाल को अकाल नहीं, डेफिसिट अर्थात घटती कह रहे हैं और इसकी भी कई श्रेणियां बना दी है - कम घटती, थोड़ी ज्यादा घटती, अधिक घटती। लेकिन इन्हें पता नहीं है कि आदमी के जीवन का वास्तविक संकट इन नये-नये नामों से नहीं टला करता।
हरियाणा में जाट आरक्षण के नाम पर जो हंगामा मचा हुआ है, उसकी पृष्ठभूमि में इस देशव्यापी कृषि संकट की आहटों को भी सुना जा सकता है। कहां का आक्रोश कहां निकले, कहना मुश्किल होता है।
हरियाणा में जाट आरक्षण के नाम पर जो हंगामा मचा हुआ है, उसकी पृष्ठभूमि में इस देशव्यापी कृषि संकट की आहटों को भी सुना जा सकता है। कहां का आक्रोश कहां निकले, कहना मुश्किल होता है।
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