-अरुण माहेश्वरी
बंगाल में वामपंथी प्रचार के पोस्टरों की यह एक अनोखी सिरीज़ है जिसे लाखों की संख्या में गाँव-शहर के कोने-कोने में लगा हुआ देखाजा सकता है । बवासीर के इलाज या गुप्त रोग के डाक्टर या वशीकरण मंत्र की पीली किताबों के विज्ञापनों की तर्ज़ पर बनाए गए ये पोस्टरआगे भारत के चुनावी प्रचार के स्वरूप में भारी परिवर्तन के सूचक हैं।
वामपंथी नौजवान कार्यकर्ताओं को कई गली-नुक्कड़ों पर फ़्लैश डांस के ज़रिए लोगों का ध्यान खींचते हुए देखा जाता है, तो बसों-ट्रेनों मेंटिकट के आकार के लिफ्लेट बाँटते हुए भी उन्हें पाया जाता हैं । कई पैरोडी गीतों के साथ वे जगह-जगह हल्लागाड़ी लेकर हाजिर होजाते हैं, तो चुनावी खर्च उगाहने के लिए पब्लिक फ़ंडिंग के आधुनिक उपायों का प्रयोग कर रहे हैं । भाजपा-तृणमूल के करोड़ों रुपये कीटक्कर में वाम उम्मीदवारों की यह पहल आज चर्चा का विषय है ।
वाम के प्रचार में यह नवीनता उसकी ब्रिगेड सभा के प्रचार के वक्त ही सामने आ गई थी जब बेहद लोकप्रिय एक ‘टुंपा गान’ की धुन परब्रिगेड की सभा में शामिल होने का आह्वान किया गया था । इस पर हमने अलग से एक टिप्पणी भी की थी । इसी के साथ संगति रखतेहुए वामपंथी उम्मीदवारों में नौजवानों की बड़ी संख्या बहुत तात्पर्यपूर्ण है और तारुण्य के आकर्षण के साथ उनका कुल प्रचार सृजनात्मकऔर बेहद प्रभावशाली भी है ।
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