-अरुण माहेश्वरी
भारी उन्माद के साथ नोटबंदी की घोषणा और पिछले दो महीने से अब तक चल रहे अर्थ-व्यवस्था के विध्वंस के तांडव के बाद प्रधानमंत्री मोदी तो शिवशंभु की शांत मुद्रा में आ गये हैं । भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक (7-8 जनवरी 2017) को उन्होंने एक ढोंगी साधू के सत्संग का रूप देकर अपने सभी नेताओं को दरिद्र नारायण की सेवा का व्रत लेने और जनता के बीच जाकर मोदी भजनाम में डूब जाने का प्रवचन दिया और उनकी भक्ति की इसी मूर्च्छा की ओट में राजनीति के इस भव जगत से मोक्ष की अपने भावी योजना का अंदेशा भी दे दिया । वही, झोली लेकर फ़क़ीरी में निकल जाने वाली योजना का ! लेकिन अफसोस कि अपने पीछे वे अपनी जिन सभी पटरानियों को रोता-कलपता भारी कष्ट में छोड़ कर जायेंगे, उनमें एक सबसे ख़ूबसूरत और ताज़ा-तरीन चेहरे वाला मासूम सा नाम भी है - आरबीआई के गवर्नर श्रीमान उर्जित पटेल का ।
मोदी सरकार ने नोटबंदी की कूमति का ठीकरा अपनी इसी पटरानी की बेजा माँग पर फोड़ा है । पीयूष गोयल नामक शेयर बाज़ार से उठ कर केंद्रीय मंत्रीमंडल तक पहुँचे तोते की तरह शेयर-दलालों की भाषा को रटने वाले मंत्री ने संसद के मंच पर कहा था कि प्रधानमंत्री ने 8 नवंबर को टेलिविजन के चैनलों पर नोटबंदी का जो ता-थैय्या नृत्य का प्रदर्शन किया था, वह इसी उर्जित नामक पटरानी की ज़िद का परिणाम था ।
बहरहाल, आज की सबसे ताज़ा खबर यह है कि एक ओर जब प्रधानमंत्री ने गोपी चंदन लगा कर कंठीधारी साधू का बाना पहन लिया है और ग़रीब प्रभु की सेवा के कीर्तन में मगन हो गये हैं, तभी बेचारे उर्जित को संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) ने अपराधी के कठघरे में आने और नोटबंदी की अपनी बेजा ज़िद के अपराध के लिये सफ़ाई देने का फ़रमान पहुँचा दिया है ।
लोक लेखा समिति के प्रमुख की ओर से आगामी 28 जनवरी को उन्हें बुलाया गया है और इस बुलावे के साथ ही उनके सामने दस सवाल भी रखे हैं, जिन पर उन्हें समिति को संतुष्ट करने के लिये कहा गया है । उन्हें बताना है कि नोटबंदी के इस महा-यज्ञ में, इस दौरान रिजर्व बैंक की गुलाटियां ले रही नीतियों और इस पूरे विषय से जुड़ी संदेहास्पद गोपनीयता में आपकी, अर्थात रिजर्व बैंक की क्या भूमिका रही है ?
पीएसी ने अपने इस बुलावे में संसद के पटल पर नोटबंदी के सबसे मुखर सेल्समैन श्रीमान पीयूष गोयल की इस बात का उल्लेख किया है कि इस मामले में आज तक जो भी किया गया है, वह सिर्फ और सिर्फ रिजर्व बैंक के कहने पर ही किया गया है ।
'इंडियन एक्सप्रेस' ने आज के अखबार में पीएसी की इस प्रश्नावली को प्रकाशित किया है । उर्जित पटेल को इस प्रश्नावली का फ़रमान पिछली 30 दिसंबर, अर्थात मोदी जी की जनता से पचास दिन की अरदास के अंतिम दिन ही भेजी जा चुकी थी ।
समिति के इस पत्र में बिल्कुल साफ शब्दों में उर्जित पटेल से पूछा गया है कि जब देश में ऐसा कोई क़ानून ही नहीं है कि आप बैंकों से किसी के नगदी को निकालने पर रोक लगा सके, तब आपने ऐसा करके अपने पद का दुरुपयोग किया है, और इसके लिये क्यों न आपको अपराधी के कठघरे में खड़ा करके दंडित किया जाए और गवर्नर के पद से निकाल बाहर किया जाए ?
पीएसी ने पटेल से पूछा है कि क्या आप पीयूष गोयल की इस बात से सहमत है कि नोटबंदी का यह कदम सरकार ने आपके कहने पर उठाया ? अगर हाँ, तो रिजर्व बैंक ने ख़ुद यह फैसला कब लिया और वे कौन से विषय थे जिन पर विचार करके आपने इसे देश के हित के लिये जरूरी समझा ? रातों-रात इन नोटों को बंद करने के पीछे क्या तुक था? इसके अलावा, आप बताइये कि कितनी राशि की नगदी को आपने ख़ारिज किया और अब तक उसमें से कितनी आपके पास वापस आ चुकी है ?
पीएसी के इस पत्र में कहा गया है कि ख़ुद रिजर्व बैंक के आकलन के अनुसार भारत में जाली नोटों की संख्या सिर्फ 500 करोड़ रुपये हैं । इसके अलावा जीडीपी और नगदी का अनुपात भारत में जापान के 18 प्रतिशत और स्विट्ज़रलैंड के 13 प्रतिशत से कम, 12 प्रतिशत है । भारत में ऊँची क़ीमतों के नोटों की संख्या 86 प्रतिशत है, जबकि चीन में 90 प्रतिशत और अमेरिका में 81 प्रतिशत । तब ऐसी कौन सी आफ़त आ गई थी कि आरबीआई को अचानक यह नोटबंदी का निर्णय लेना पड़ा ?
इसके अलावा इस प्रश्नावली में 8 नवंबर को कथित आरबीआई बोर्ड की बैठक से जुड़े कुछ तकनीकी सवाल और 86 प्रतिशत करेंसी को प्रतिबंधित करने से मचने वाली अफ़रा-तफ़री और राष्ट्र को होने वाले भारी नुक़सान के आकलन के बारे में भी सफ़ाई देने के लिये कहा गया हैं ।
कुल मिला कर, अभी उर्जित पटेल की गर्दन बली के बकरे की तरह फँसी हुई है । मोदी जी ने नोटबंदी, और उसके बाद के कैशलेस, लेसकैश और डिजिटल का जाप करना बंद कर दिया है । ये पद आज भारत के आम लोगों के कानों में उनके जीवन में सुनी गई सबसे भद्दी गाली की तरह सुनाई देने लगे हैं । मोदी जी अब प्रभु नाम के जप से आगे के चुनावों की वैतरणी पार करना चाहते हैं । उर्जित पटेल के प्रति उनकी सहानुभूति है । पिछले दिनों एक अध्यादेश के ज़रिये उसे बचाने की कोशिश भी कर रहे थे । लेकिन वह अध्यादेश भी अभी लटक गया जान पड़ता है । पीएसी ने पटेल को 28 जनवरी को बुलाया है, इसके पहले तो ख़ुद सरकार की पेशी सुप्रीम कोर्ट के सामने 10 जनवरी को होने को है !
फ़ौजदारी क़ानून के दर्शन का यह एक ब्रह्म वाक्य है कि जो अपराध एक बार कर दिया जाता है, उसे दंड पाए बिना ऐसे ही खारिज करना संभव नहीं है । नोटबंदी के महा अपराध के लिये मोदी सरकार और आरबीआई गवर्नर को सज़ा तो भुगतनी ही पड़ेगी ।
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