आज के ‘जनसत्ता’ के 'दुनिया मेरे आगे' स्तंभ में विष्णु नागर की एक रिपोर्ट पर सरला माहेश्वरी की कविता :
आज, 19 मार्च 2015 का जनसत्ता
विष्णु नागर बता रहे हैं
मुंबई के दादाभाई नौरोजी थाने के
किसी इंस्पेक्टर राजेन्द्र धोंदू भोंसले की कथा
मुंबई के दादाभाई नौरोजी थाने के
किसी इंस्पेक्टर राजेन्द्र धोंदू भोंसले की कथा
यह कथा है भोंसले के असाधारण जुनून की
गुमशुदा 166 लड़कियों और 174 लड़कों की खोज की
अपने काम में ऐसा जुटा ये दीवाना
कि 165 लड़कियों और १७१ लड़कों को वापस मिल गया अपना ठिकाना
लेकिन वह अब भी बेचैन है
जारी जो है अब भी 166वीं की तलाश
गुमशुदा पूजा की तलाश
क़ायम है उसका विश्वास
जैसे होती है हर पिता की आस
गुमशुदा 166 लड़कियों और 174 लड़कों की खोज की
अपने काम में ऐसा जुटा ये दीवाना
कि 165 लड़कियों और १७१ लड़कों को वापस मिल गया अपना ठिकाना
लेकिन वह अब भी बेचैन है
जारी जो है अब भी 166वीं की तलाश
गुमशुदा पूजा की तलाश
क़ायम है उसका विश्वास
जैसे होती है हर पिता की आस
इंस्पेक्टर राजेंद्र धोंदू भोंसले
शुक्र है कि बचे हैं तुम जैसे कुछ पगले
तुम जैसे भोंदू पगलों से ही बचे हैं
जीवन के अनमोल घोंसले
तुम हो जैसे किसी बीहड़ में जलती मशाल
शुक्र है कि बचे हैं तुम जैसे कुछ पगले
तुम जैसे भोंदू पगलों से ही बचे हैं
जीवन के अनमोल घोंसले
तुम हो जैसे किसी बीहड़ में जलती मशाल
अब तुम सिर्फ एक नाम नहीं हो
जो हो जाये गुमनाम
दफ़्न हो जाय अनाम
जो हो जाये गुमनाम
दफ़्न हो जाय अनाम
हम न होने देंगे तुम्हें लापता
ज़िंदगी ढूँढ ही लायेगी तुम्हारा पता
जैसे ढूँढ लाये थे तुम
गुम हो गयी ज़िंदगियों का पता ।
ज़िंदगी ढूँढ ही लायेगी तुम्हारा पता
जैसे ढूँढ लाये थे तुम
गुम हो गयी ज़िंदगियों का पता ।
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