अन्तरराष्ट्रीय एजेंसी मुडीज ने मोदी जी को चेतावनी दी है कि वे अपने मंत्रियों की जुबान पर लगाम लगायें, अन्यथा अन्तरराष्ट्रीय बाजार में भारत की साख गिर जायेगी !
मुडीज की इस चेतावनी पर कभी-कभी हंसी आती है। सोचता हूं क्या कभी किसी ने तालिबानियों, हिज्बुल मुजाहिदीनों, आइ एस वालों को ऐसी कोई चेतावनी दी थी ?
गहराई से देखे तो पहला सवाल उठेगा कि क्या आरएसएस का देश के विकास से कोई सरोकार है ? उसका एकमात्र सरोकार हिंदू वर्चस्व से, अल्पसंख्यकों के दलन से, हिंदू धर्म को एक सामी धर्म में बदल कर इस देश को अपने फतवों द्वारा संचालित करने की व्यवस्था से। सत्ता पर हो या सत्ता के बाहर, वे अपने इस एजेंडे को कभी नहीं छोड़ सकते। उनकी विकास की बातें भी सिर्फ और सिर्फ इसी एक एजेंडे को साधने के लिए है। उन्हें मूडीज जैसों के साख के प्रमाणपत्रों की जरा भी जरूरत नहीं है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण तो उसकी अभी की रांची बैठक है जिसका मुख्य विषय था - जनगणना। हाल में प्रकाशित जनगणना की रिपोर्ट में मुसलमानों की आबादी में वृद्धि की दर किंचित ज्यादा पाई गई। आरएसएस ने इसे ही अपने विचार का सबसे प्रमुख विषय बना लिया ।
और, प्रधानमंत्री मोदी ! आरएसएस के अतिरिक्त तो वे शून्य है।
मुडीज की इस चेतावनी पर कभी-कभी हंसी आती है। सोचता हूं क्या कभी किसी ने तालिबानियों, हिज्बुल मुजाहिदीनों, आइ एस वालों को ऐसी कोई चेतावनी दी थी ?
गहराई से देखे तो पहला सवाल उठेगा कि क्या आरएसएस का देश के विकास से कोई सरोकार है ? उसका एकमात्र सरोकार हिंदू वर्चस्व से, अल्पसंख्यकों के दलन से, हिंदू धर्म को एक सामी धर्म में बदल कर इस देश को अपने फतवों द्वारा संचालित करने की व्यवस्था से। सत्ता पर हो या सत्ता के बाहर, वे अपने इस एजेंडे को कभी नहीं छोड़ सकते। उनकी विकास की बातें भी सिर्फ और सिर्फ इसी एक एजेंडे को साधने के लिए है। उन्हें मूडीज जैसों के साख के प्रमाणपत्रों की जरा भी जरूरत नहीं है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण तो उसकी अभी की रांची बैठक है जिसका मुख्य विषय था - जनगणना। हाल में प्रकाशित जनगणना की रिपोर्ट में मुसलमानों की आबादी में वृद्धि की दर किंचित ज्यादा पाई गई। आरएसएस ने इसे ही अपने विचार का सबसे प्रमुख विषय बना लिया ।
और, प्रधानमंत्री मोदी ! आरएसएस के अतिरिक्त तो वे शून्य है।
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