मंगलवार, 4 अप्रैल 2017

पी सी पांडे और गीता जौहरी: दोनों एक ही थैली के चट्टे-बट्टे

-अरुण माहेश्वरी


सुप्रीम कोर्ट की लताड़ के बाद इसरत जहां के फर्जी इनकाउंटर मामले में अभियुक्त गुजरात पुलिस के कार्यकारी डीजी पी सी पांडे को अपने पद से हटना पड़ा है और उनकी जगह गीता जौहरी को लाया गया है।
राणा अयूब की प्रसिद्ध किताब ‘गुजरात फाइल्स’ के खलनायकों में इन दोनों शख्सियतों के बारे में विस्तार से चर्चा है।

राणा अयूब को एटीएस के पूर्व प्रमुख राजन प्रियदर्शी कहते हैं कि ‘‘(2002 के) दंगों मंें पुलिस कमीश्नर पी सी पांडे ने दंगाइयों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। उसे सजा मिलनी चाहिए। वह सीएम (तब नरेन्द्र मोदी) के नजदीक है। उनका खास आदमी है। वह मुसलमानों की हत्या के लिये जिम्मेदार था। इसीलिये देखिये सेवा निवृत होने के बाद भी उसके लिये एक पद रख गया है।’’

2002 के दंगों के समय के गुजरात के गृह सचिव अशोक नारायण राणा अयूब को बताते हैं कि सीएम पांडे पर सबसे अधिक भरोसा करते थे और दंगों के दौरान उससे ही अपने सारे काम करवाये थे।

पांडे ने खुद राणा अयूब के सामने मुसलमानों के प्रति अपनी घृणा को कई बार जाहिर किया। यहां तक कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उनकी आवाज उठाने वालों को पकड़-पकड़ कर दीवाल से सटा कर गोली मार देनी चाहिए।

अब पांडे की जगह गीता जौहरी आई है। जिस समय अयूब उससे मिली थी, वह राजकोट की कमीश्नर थी। इन महोदया पर आरोप था कि सोहराबुद्दीन शेख के फर्जी इनकाउंटर के बारे में रिपोर्ट में इन्होंने  हेरा-फेरी की थी जिसके लिये सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें यह कह कर डांट पिलाई थी कि उन्होंने सही ढंग से मामले की जांच नहीं की। बात-बात में वह राणा अयूब को बताती है कि पुलिस वालों ने कितनी मूर्खता से सोहराबुद्दीन का इनकाउंटर किया था। ‘जो काम छिप करने का होता है, वह उन्होंने एक भरी हुई बस से उसे उतार कर किया था।’ सोहराबुद्दीन को मारने के बाद दो बच्चों की मां, उसकी बीबी कौसर बीं को सिर्फ इसलिये मार दिया गया क्योंकि डर था कि वह इस मामले में चुप नहीं बैठेगी।

राणा अयूब की किताब में कहा गया है कि इन इनकाउंटर मामलों में शुरू में गीता जौहरी कुछ अच्छा काम कर रही थी। लेकिन बाद में उनके पति के एक भ्रष्टाचार के मामले को सामने लाकर उनसे ब्लैक मेल किया गया।
आज यही गीता जौहरी पी सी पांडे की जगह पर लाई गयी है।

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