रविवार, 28 नवंबर 2021

शक्ति और कमजोरी साथ-साथ




आज के ‘टेलिग्राफ’ में मनोविकारों के बारे में एक शोध संबंधी रिपोर्ट ‘A Darwinian Paradox’ में बताया गया है कि डार्विन केविकासवाद के अनुसार तो जो मनोविकार मनुष्य के शरीर की क्षमताओं के अंत का कारण बनते हैंउनके जीवाणुओं को आगे नहीं बढ़नाचाहिए क्योंकि वे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के विपरीत होते हैंवे शरीर की शक्ति के नहींउसकी कमजोरी के कारण होते हैं  लेकिनफिर भी यथार्थ में पाया जाता है कि उन मनोविकार के जीवाणु आगे की पीढ़ियों में भी आनुवंशिक रूप में  जाते हैं  

शोध में पाया गया है कि इसका कारण यह है कि ये जीवाणु अकेले नहीं होतेबल्कि वे शरीर के अन्य प्रतिरोधक जीवाणुओं के साथजुड़े होते हैंअर्थात् एक समुच्चय में होते हैं और उस समुच्चय के चलते ही आनुवंशिक रूप में अगली पीढ़ी में जाने की शक्ति हासिल करलेते हैं  इसीलिए प्रकारांतर से कई मनोविकार शरीर की अन्य प्रतिरोधक क्षमताओं का भी संकेत देते हैं  

मसलन् , इसी दिशा में चीन का एक शोध बताता है कि जो जीवाणु यूरोप के लोगों में कई मनोविकारों के कारण के रूप में पाया जाताहैवही उन्हें उच्च रक्तचाप की बीमारी से भी बचाता हैजिसके कारण वे वहाँ की इतनी कड़ाके की ठंड का मुक़ाबला कर लेते हैं  इसीप्रकार एक अमेरिकी शोध बताता है कि जो Apoe4 जीवाणु लोगों को वायरस इंफ़ेक्शन से बचाता हैवही Apoe4 वृद्धावस्था मेंलोगों की याददाश्त और पहचान संबंधी मानसिक बीमारियों के कारण के रूप में पाया जाता हैं  

पूर्व-औद्योगिक काल में आम तौर पर लोग इंफ़ेक्शन से बच नहीं पाते थेइसीलिए कम उम्र में चल बसते थे। औद्योगिक काल मेंइंफ़ेक्शन से बचने लगे तो उनकी उम्र बढ़ने लगीपर इसके साथ ही दूसरी मानसिक बीमारियाँ भी सामने आने लगी  दो सौ साल पहलेदुनिया की आबादी एक सौ करोड़ थी जो आज बढ़ कर सात सौ सत्तर करोड़ हो गई है  

टेलिग्राफ’ में मनोविकार के बारे में जिस भारतीय अध्ययन की खबर हैउसी में डायबटीज़ और हाइपरटेंशन की तरह की बढ़ती हुई उम्रकी बीमारियों को मनोविकार की बीमारियों की श्रेणी में रखा गया है  

इस विषय मेंकुल मिला कर कहने का अर्थ यह है कि जीवाणु कभी अकेले क्रियाशील नहीं होते हैंवे एक प्रकार के द्वंद्वात्मक समुच्चयमें बढ़ते हैं  इसीलिए आदमी के शरीर की कमज़ोरियों के जीवाणु भी उसकी मज़बूतीउसकी प्रतिरोधक क्षमता जीवाणुओं के साथमिल कर पीढ़ी दर पीढ़ी बने रहते हैं  औरकहना  होगाडार्विन के सर्वोत्तम की उत्तरजीविता (survival of the fittest) के सिद्धांतको परास्त कर देते हैं  इसके राजनीतिक निहितार्थों कोसंयुक्त मोर्चा की राजनीति के रूप में भी समझा जा सकता है  लघुतम ताक़तेंभी उसके ज़रिए राजनीति और जीवन के सभी क्षेत्रों में एक विधायी भूमिका अदा किया करती है 


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