मंगलवार, 24 फ़रवरी 2015

भूमि अधिग्रहण कानून अध्यादेश को बदलने के संकेत

सरकारी सूत्र भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन के अध्यादेश को बदलने के संकेत देने लगे हैं।
पिछले साल के अंतिम दिन जैसी हड़बड़ी में इसे जारी किया गया था तब ऐसा लगा था मानो मोदी जी ने भारत के ‘विकास’ की ऐसी कुंजी पा ली है जिसे पकड़ कर तत्काल कार्रवाई न की गयी तो वह फिर हाथ नहीं आने वाली। दरअसल, तब ओबामा जी आने वाले थे।
ओबामा जी घूम गये, बता गये कि भूमि अधिग्रहण नहीं, विकास की कुंजी है संविधान की धारा 25 की अक्षुण्णता! फिर दिल्ली का परिणाम आगया। जाहिर हुआ कि यदि भूमि अधिग्रहण संबंधी इस अध्यादेश से चिपके रहा गया तो जो दिल्ली में जो हुआ उसे सारे देश में दोहराये जाने से कोई रोक नहीं पायेगा।
इसी बीच किसानों के जत्थे कूच कर पड़े हैं संसद की ईंट से ईंट बजाने। देश के सभी किसान संगठनों ने प्रतिरोध की साझा रणनीति तैयार करनी शुरू कर दी है। अन्ना हजारे हुंकारे भरने लगे हैं।
हां, वामपंथी अभी अपने सांगठनिक यज्ञ में लगे हुए हैं - भारतीय कर्मवाद पर पक्की आस्था के साथ कि यदि सारे विधि-विधानों के साथ यज्ञ के कर्मकांड त्रुटिविहीन संपन्न हो जाए तो सफल यज्ञ से फल की प्राप्ति निश्चित और अटल है। यज्ञ की रहस्यमय शक्ति के चमत्कारों से ही तो मनुष्यों को देवत्व प्राप्त होता है !
बहरहाल, भारतीय राजनीति की अनंत संभावनाएं साफ नजर आ रही है। मोदी-शाह अभी से पिटे-पिटे तथा स्वच्छ भारत, जन धन, काला धन की मोदी जी की बातें और भी धिसी-पिटी दिखाई देने लगी है।

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