सोमवार, 7 अप्रैल 2014

लेखकों की अपील

दिल्ली से लेखकों और बुद्धिजीवियों के एक समूह ने देशवासियों से यह अपील की है कि देश की बहुलता को बचाए रखने और लोकतांत्रिक तथा नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिये आगामी चुनाव में ऐसे किसी भी उम्मीदवार को मत न दें जो सांप्रदायिक और धार्मिक उन्माद फैलाते हैं, अत्याचारी और भ्रष्ट है। उनका साफ कहना है कि ‘‘नरेन्द्र मोदी को इस तरह से पेश किया जा रहा है जैसे उनके पास देश की मौजूदा आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सभी चुनौतियों का जवाब हो। अपने ही राज्य में 2002 में तीन हजार से ज्यादा मुसलमानों के संहार में उनकी कथित भूमिका को नजरंदाज किया जा रहा है।...नरेन्द्र मोदी को सख्त फैसले लेने में सक्षम एक शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में पेश किया जा रहा है। लेकिन पिछली सदी का इतिहास गवाह है कि ऐसे ही हालात में अलग-अलग देशों के लोगों ने पाध्: ऐसे शक्तिशाली व्यक्ति का विकल्प चुना और उसके नतीजे घातक रहे।’’
‘जनसत्ता’ के आज के अंक में प्रकाशित इस रिपोर्ट के अनुसार इन लेखकों में नामवर सिंह, गणेश देवी, यूआर अनंतमूर्ति, अशोक वाजपेयी, के सच्चिदानंद, प्रभात पटनायक, बनवारी तनेजा, गीता कपूर, एमके रैना, मंगलेश डबराल, मिहिर पांड्या, अमर फारूकी, नंदिनी मजूमदार, निवेदिता मेनन, पार्थिव शाह, राधावल्लभ त्रिपाठी, रजा हैदर, शबनम हाशमी, अली जावेद, गीतांजलिश्री, अपूर्वानंद, नीलम मानसिंह, समिक बंदोपाध्याय, तेजी ग्रोवर, सदानंद मैनन, विवान संुदरम, सुधीर चंद्र और राजेश जोशी शामिल है।
हम यहां ‘जनसत्ता’ की इस रिपोर्ट का लिंक दे रहे हैं। लेखकों की इस अपील के साथ हम भी अपनी एकजुटता जाहिर करते हैं और देशभर के लेखकों, बुद्धिजीवियों से यह अपील है कि वे सभी न्याय और विवेक की इस आवाज के साथ अपनी आवाज मिलाये।
http://epaper.jansatta.com/254346/Jansatta.com/Jansatta-Hindi-08042014#page/7/2

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