शुक्रवार, 6 जनवरी 2017

भाजपा की कार्यकारिणी का एजेंडा क्या है?

-अरुण माहेश्वरी


भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक चल रही है । एक शासक दल की ताम-झाम वाली सजी-धजी बैठक । मंच पर भाजपा के इस मोदी पार्टी के रूपांतरण को चरितार्थ करते काया और छाया के प्रतिरूप मोदी जी और अमित शाह का पूर्ण वर्चस्व ।

एक ओर चारों तरफ़ से देश की आर्थिक दुर्गति के समाचार गूँज रहे हैं, लेकिन इस साउंडप्रूफ प्रेक्षागृह में इस अव्यवस्था के प्रतीक मोदी जी का ही एकाग्रचित्त होकर स्तुतिगान चल रहा है । पूरा वातावरण मोदीमय बताया जा रहा है ।

यह कैसा मंथन है जिसमें सब दैव हैं, कोई असुर नहीं है। कोरा प्रदर्शन ही प्रदर्शन है । अख़बारों की खबरों, चैनलों की चाक्षुष क्लिपिंग्स की बात जाने दीजिए, ख़ुद सरकारी विभाग ने ऐन इसी वक़्त जीडीपी में गिरावट के तथ्य प्रसारित करके यह बता दिया है कि आगे इसमें साफ तौर पर और भी तेज़ी से गिरावट आयेगी, अर्थात आने वाले दिन भारी दुर्दिन के होंगे । लेकिन इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी में किसी के पास हिम्मत नहीं है कि प्रधानमंत्री से उनके इस महान कर्तृत्व पर कोई सवाल करे ।

बस विचार का एक ही विषय है - उत्तर प्रदेश । चुनाव जीत लो, फिर न कोई कर्त्तव्य है और न कोई ज़िम्मेदारी ! लेकिन दुर्भाग्य, कि कामना करना ही इच्छा-पूर्ति का एकमात्र साधन नहीं होता ! 

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