आज लोकसभा में वित्त मंत्री ने एक वित्तीय विधेयक पेश किया है जिसमें कहा गया है कि स्वेच्छा से काला धन जमा कराने वाले लगभग पचास प्रतिशत कर और पैनल्टी जमा कराके बाक़ी पचास प्रतिशत राशि को अपने पास रख सकते हैं ।
सवाल उठता है कि काला धन को सफ़ेद करने की वीआईडीएस की तरह की वित्तमंत्री की इस घोषणा के बाद अब अलग से नोटबंदी स्कीम की क्या उपयोगिता है ? काला धन अब इसके दायरे के बाहर हो गया है । सारत:, अब अपने आप में तो यह स्कीम सिर्फ आम लोगों के जीवन को अस्थिर करने वाली, भारत की कृषि-अर्थ-व्यवस्था की रीढ़ को तोड़ने वाली एक स्कीम रह गई है ।
क्या अब नोटबंदी की पूरी योजना को सिर्फ गाँव और शहरों में आम लोगों के घरों में पड़ी हुई बचत की नगद राशि को खींच कर बैंकों में लाने और उसे पूँजीपतियों को आसान शर्तों पर सुलभ कराने की स्कीम कहना उचित नहीं होगा ?
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