शनिवार, 5 सितंबर 2015

करना चाहता हूँ तुमसे कुछ बातें

- सरला माहेश्वरी




(मैसूर विश्वविद्यालय के अध्यापक प्रोफ़ेसर के. एस. भगवान को बजरंग दल के लोगों ने मौत के घाट उतारने की धमकी दी है । प्रो. भगवान कर्नाटक में एक विवेकवादी, वैज्ञानिक मानसिकता के प्रचारक प्रखर बुद्धिजीवी माने जाते है । प्रो.कलबुर्गी की हत्या के बाद इन्हें कहा गया था कि अगला निशाना अब प्रो. भगवान को ही बनाया जायेगा । इस पर प्रो. भगवान की प्रतिक्रिया थी, तुम हमें मार सकते हो, हमारे विचारों को नहीं । इन्हीं प्रो. भगवान को समर्पित सरला माहेश्वरी की कविता :)

हाथों में बंदूक़ लेकर
बिना सोचे-समझे निर्दोषों की हत्या करने वालों !
एक बार, नहीं
गोली चलाने से पहले
बार -बार देखो !
अपने हाथों को गौर से देखो !
छू कर महसूस करो अपने हाथों को
माथे पर ज़ोर डालकर याद करो उन हाथों को
अपनी माँ के उन हाथों को ...
अनगिनत बार उन हाथों ने प्यार से चूमा था तुम्हें
तुम्हारी हर गल्ती के लिये खुद को ही कोसा था उसने
याद करो पिता के उन हाथों को
तुम्हारी हँसी के लिये प्यार से हवा में उछालते थे तुम्हें
और भर लेते थे सावधानी से अपने हाथों में
हाँ, हाँ, याद करो उस प्यार को...
उस विश्वास को ...
जीने के लिये,जिंदगी के लिये
बहुत, बहुत ज़रूरी होता है
किसी का प्यार, किसी का विश्वास
किसी का साथ ...
हर एक अदद इंसान के लिये
याद करो !
याद करो कि तुम एक इंसान हो
तुम नहीं हो एक मशीन !
कम्प्यूटर के पर्दे पर
नादान बच्चे की तरह नक़ली दुश्मन को मारकर
तुम नहीं कर सकते अपना मनोरंजन
सोचो क्या हो ...
गर गल्ती से उस बच्चे के हाथ में आ जाय तुम्हारी
असली बंदूक़ !
खेल-खेल में चलाने लगे वो अंधाधुँध गोलियाँ
लगा दे तुम पर ही निशाना
धाँय ! धाँय ! धाँय !
काँप रहे हैं ना तुम्हारे हाथ !
सोचो ! सोचो ! क्या होगा ...
गर हम सब बन जायें एक मशीन ...
एक हत्यारी मशीन !
चलाने लगें एक-दूसरे पर ऐसे ही गोलियाँ
बन जायें अपने-अपने
इलाक़ों के सरदार
फिर रात-दिन जाग-जागकर बनाएँ रणनीतियाँ
घात की, प्रतिघात की,विस्तार की
शक और भय के घेरों में बंद
आये नजर चारों ओर
बस दुश्मन और दुश्मन
जैसे राजमहलों के षड़यंत्र
बेटा कर दे बाप की हत्या !
भाई कर दे भाई की हत्या !
हम सब बन जायें
बस लोभ-लालच
नफ़रत और सत्ता के पुर्ज़े
बिना सोचे-समझे रणभूमि में सज जाएँ
मिलते ही आदेश, चला दें गोली
गर नहीं बनना चाहते
तुम सत्ता के पुर्ज़े
तो आओ मेरी हत्या से पहले
मैं तुमसे करना चाहता हूँ
अपने घर में शांति से कुछ बातें
मुझे पूरा यक़ीन है
मैं समझा सकता हूँ तुमको
इंसान को मशीन में तब्दील करने का राज
सभी तानाशाहों को चाहिये होती है
तुम जैसी मशीनें ! तबाही की मशीनें !
मशीनें नहीं जानती, फिर भी वे करती हैं !
वे बहुत
हाँ, हाँ बहुत डरते हैं इंसानों से
देखो ! तुम्हें भी तो डरा दिया था उन्होंने
पानसारे, डाभोलकर, कलबुर्गी और मुझ जैसे बुढ्ढे इंसानों से
अब बताओ तुम मेरे पास बैठे हो
लग रहा है कोई डर मुझसे !
नहीं ना !
इंसान नहीं डरा करते इंसानों से
सिर्फ हैवान ही डरा करते हैँ इंसानों से
ये धरती बहुत सुंदर है
आओ ! इसे ख़ुशहाल बनाएँ
आओ मिलकर इंसान बनाएँ।
मैं भगवान दास
मारे जाने से पहले करना चाहता हूँ
तुमसे कुछ बातें।

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