रविवार, 6 सितंबर 2015

अब ख़बरदार ! ये सब नहीं चलेगा !

- सरला माहेश्वरी 

औरंगज़ेब मुस्लिम कट्टरपंथी था
वो हत्यारा था, अत्याचारी था,
समावेशी भारतीय संस्कृति को नहीं मानता था
लो, मिटा दिया राजपथ से उसका नाम
रख दिया उसकी जगह पर एक अच्छा नाम
एक अच्छे मुसलमान का नाम !

अब तो करोगे यक़ीन !
मानोगे कि हम हैं हिंदुस्तान के सच्चे वारिस !

और गाँधी !
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी !
"ईश्वर, अल्लाह तेरे नाम, सबको सम्मति दे भगवान "
उनकी हत्या ! और हत्या का उत्सव !
क्या इसलिये कि वो नहीं थे तुम्हारे जैसे !
तुम्हारे जैसे महान परम्परावादी, राष्ट्रप्रेमी !

और गोविंद पानसारे !
अरे वही शिवाजी पर लिखी थी ना किताब
बताया था कि शिवाजी नहीं थे कट्टर
वे तो समावेशी शासक थे
फिर क्यों मार डाला पानसारे को !

ओह ! वो शिवाजी की वीरता को ...
धर्मनिरपेक्ष बताकर कलंकित कर रहा था !

और ये कलबुर्गी !
पुरालेख और वचन साहित्य के विशेषज्ञ
कट्टरपंथ और अंधविश्वास के खिलाफ लड़ रहे थे
मूर्तिपूजा का विरोध कर रहे थे !

विवेकानंद भी तो कहते थे ...
तुम्हारे शास्त्रों को फेंक दो ...
गर नहीं दे सकते भूखे को रोटी ...
खुद सोचो, गर सही लगे तब विश्वास करो !

और वो दाभोलकर
वो भी तो यही कह रहे थे
पाखंडियों, झूठे तांन्त्रिकों पर मत करो विश्वास
मत मारो दुर्बल और असहाय को
वे तो चल रहे थे विकास के रास्ते पर
डिजिटल इंडिया के रास्ते पर !

ओह ! तुम्हारा डिजिटल इंडिया !
उनसे एकदम अलग है, कोई मेल नहीं है !

हमारा डिजिटल इंडिया समावेशी है
पंडे, पुजारी, तांत्रिक,ढोंगी, घनघोर आस्थावादी
सब को देता है पूरा सम्मान
उन जैसे अनास्थावादियों का यहाँ नहीं है कोई काम
ये हमारी समावेशी संस्कृति का अपमान है
ये तो सरासर देशद्रोह है

देखो ! हम देशभक्त
यह कभी बर्दाश्त नहीं कर सकते
देखो ! इसीलिये कानून भी बना दिया है
अब ख़बरदार ! ये सब नहीं चलेगा !
भागो ! नहीं तो कर देंगें जेल के अंदर !
और नहीं माने तो, जानते ही हो !

इस दुनिया से ही उठा देंगे ।

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