-अरुण माहेश्वरी
'इकोनोमिक टाइम्स' में एक खबर छपी है कि मोदी यदि उत्तर प्रदेश में जीत जाते हैं तो आगे और कठोर आर्थिक कदम उठायेंगे ।
हमारा मानना है कि कल के परिणामों में मोदी जी की जीत हो या हार, कोई फर्क नहीं पड़ेगा । यह बात बिल्कुल साफ हो गई है कि कोरी बातों और लफ्फाजियों से वे अपने को क़ायम नहीं रख पायेंगे । वे अभी जाए या 2019 में, इसमें ज्यादा फर्क नहीं है ।
इसीलिये, उनके अस्तित्व की यह माँग है कि वे नोटबंदी की तरह के दुस्साहसी कदम के साथ ही अर्थनीति और ज़मीनी सचाइयों के बारे में एक ठोस समझदारी के साथ आगे बढ़ें ।
नोटबंदी का यह पहलू कि इससे ग़रीबों के बीच यथास्थिति के प्रति स्वाभाविक नफरत का उन्हें लाभ मिला, आगे भी किसी दुस्साहसिक कदम में उन्हें बल देगा । लेकिन नोटबंदी के ज़रिये जो अव्यवस्था पैदा हुई, उसका असर ऐसा नहीं हुआ जैसा कि अक्सर किसी भी प्रकार के सामाजिक दुर्योग से हुआ करता है कि एक बार के लिये ग़रीब-अमीर सब एक धरातल पर आ जाते हैं । सामाजिक और प्राकृतिक अघटनों का यह समानीकरण वाला प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण होता है ।
पश्चिम बंगाल के अपने अनुभव के आधार पर कह सकते हैं कि यहाँ वाम मोर्चा सरकार के भूमि सुधार और आपरेशन वर्गा की तरह के अभियानों ने विशाल ग्रामीण क्षेत्रों में जो उथल-पुथल और अफ़रा-तफ़री पैदा की, उसने सामाजिक शक्तियों के संतुलन को गहराई से प्रभावित किया था । ग़रीबों के इस सशक्तीकरण ने ही वाम मोर्चा सरकार को चौतीस सालों तक बनाये रखा ।
मोदी और उनकी मंडली के पास इस प्रकार का कोई समतावादी सोच का परिप्रेक्ष्य ही नहीं है । इनको खरबपतियों द्वारा बैंकों के ख़रबों रुपये डकार लेने तक से चिंता नहीं होती है । ये समाज के पहले से ताक़तवर लोगों के बगलगीर बने रहने में अपनी शान समझते हैं । इसीलिये इनसे किसी अभी प्रकार की ऐसी मूलगामी आर्थिक पहलकदमी की कभी कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है, जो सारी अस्थिरता के अंत में ग़रीब जनता का सशक्तीकरण करें । नोटबंदी ने गाँव और शहर के ग़रीबों के जीवन को तबाह किया है, अमीरों की ताक़त को छुआ तक नहीं है ।
http://m.economictimes.com/news/politics-and-nation/if-bjp-wins-uttar-pradesh-get-ready-for-more-modi-crackdowns/articleshow/57574872.cms?intenttarget=no&utm_source=newsletter&utm_medium=email&utm_campaign=Dailynewsletter&type=dailynews&ncode=b0d4c3b360a79ae54b781247a03f57ae
'इकोनोमिक टाइम्स' में एक खबर छपी है कि मोदी यदि उत्तर प्रदेश में जीत जाते हैं तो आगे और कठोर आर्थिक कदम उठायेंगे ।
हमारा मानना है कि कल के परिणामों में मोदी जी की जीत हो या हार, कोई फर्क नहीं पड़ेगा । यह बात बिल्कुल साफ हो गई है कि कोरी बातों और लफ्फाजियों से वे अपने को क़ायम नहीं रख पायेंगे । वे अभी जाए या 2019 में, इसमें ज्यादा फर्क नहीं है ।
इसीलिये, उनके अस्तित्व की यह माँग है कि वे नोटबंदी की तरह के दुस्साहसी कदम के साथ ही अर्थनीति और ज़मीनी सचाइयों के बारे में एक ठोस समझदारी के साथ आगे बढ़ें ।
नोटबंदी का यह पहलू कि इससे ग़रीबों के बीच यथास्थिति के प्रति स्वाभाविक नफरत का उन्हें लाभ मिला, आगे भी किसी दुस्साहसिक कदम में उन्हें बल देगा । लेकिन नोटबंदी के ज़रिये जो अव्यवस्था पैदा हुई, उसका असर ऐसा नहीं हुआ जैसा कि अक्सर किसी भी प्रकार के सामाजिक दुर्योग से हुआ करता है कि एक बार के लिये ग़रीब-अमीर सब एक धरातल पर आ जाते हैं । सामाजिक और प्राकृतिक अघटनों का यह समानीकरण वाला प्रभाव बहुत महत्वपूर्ण होता है ।
पश्चिम बंगाल के अपने अनुभव के आधार पर कह सकते हैं कि यहाँ वाम मोर्चा सरकार के भूमि सुधार और आपरेशन वर्गा की तरह के अभियानों ने विशाल ग्रामीण क्षेत्रों में जो उथल-पुथल और अफ़रा-तफ़री पैदा की, उसने सामाजिक शक्तियों के संतुलन को गहराई से प्रभावित किया था । ग़रीबों के इस सशक्तीकरण ने ही वाम मोर्चा सरकार को चौतीस सालों तक बनाये रखा ।
मोदी और उनकी मंडली के पास इस प्रकार का कोई समतावादी सोच का परिप्रेक्ष्य ही नहीं है । इनको खरबपतियों द्वारा बैंकों के ख़रबों रुपये डकार लेने तक से चिंता नहीं होती है । ये समाज के पहले से ताक़तवर लोगों के बगलगीर बने रहने में अपनी शान समझते हैं । इसीलिये इनसे किसी अभी प्रकार की ऐसी मूलगामी आर्थिक पहलकदमी की कभी कोई उम्मीद नहीं की जा सकती है, जो सारी अस्थिरता के अंत में ग़रीब जनता का सशक्तीकरण करें । नोटबंदी ने गाँव और शहर के ग़रीबों के जीवन को तबाह किया है, अमीरों की ताक़त को छुआ तक नहीं है ।
http://m.economictimes.com/news/politics-and-nation/if-bjp-wins-uttar-pradesh-get-ready-for-more-modi-crackdowns/articleshow/57574872.cms?intenttarget=no&utm_source=newsletter&utm_medium=email&utm_campaign=Dailynewsletter&type=dailynews&ncode=b0d4c3b360a79ae54b781247a03f57ae
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