शुक्रवार, 22 नवंबर 2019

इलेक्टोरल बॉंड यानी ब्लैक मनि के उत्पादन और खपत, दोनों का एक नायाब औज़ार


-अरुण माहेश्वरी



इलेक्टोरल बॉंड के बारे में कोई जितना सोचेगा, वह भारत में तैयार की गई इस रहस्यमय और नायाब चीज से हैरान रह जायेगा । भाजपा के चार्टर्ड अकाउंटेंट छाप अर्थशास्त्रियों के द्वारा तैयार की गई सचमुच यह ऐसी अनोखी चीज है, जिसे ब्लैक मनि के धंधे का अगर कोई अन्तर्राष्ट्रीय नोबेल पुरस्कार हो, तो वह भी दिया जा सकता है ।

बताया जा रहा है कि अकेले भाजपा को इन बॉंड से इस दौरान छ: हज़ार करोड़ से ज़्यादा रुपये मिल चुके हैं । भाजपा की आमदनी का एकमात्र स्रोत इलेक्टोरल बॉंड नहीं है । पार्टी को चलाने के लिये पैसे बटोरने के उनके जो दूसरे परंपरागत स्रोत रहे हैं, भाजपा ने उनमें से शायद ही किसी स्रोत को बंद किया होगा ।

तब किसी के भी मन में यह स्वाभाविक सवाल उठना चाहिए कि आख़िर भाजपा ऐसा क्या कर रही है कि उसे इतने, हज़ारों-हजारों करोड़ रुपये की ज़रूरत पड़ रही है ? यह सवाल भाजपा के भी सभी स्तर के लोगों, आरएसएस वालों के भी दिमाग़ में उठना चाहिए कि आख़िर इतने रुपयों का हो क्या रहा है ? भाजपा का वर्तमान नेतृत्व यह किस प्रकार के गोरख धंधे में लगा हुआ है ?

यह बॉंड खुद में एक रहस्य इसलिये है क्योंकि जानकारों का कहना है कि इलेक्टोरल बॉंड के ज़रिये कंपनियों ने भाजपा को उतने रुपये नहीं दिये हैं, जितने दिखाए जा रहे हैं । यह तो काले को सफ़ेद और सफ़ेद को काला करने में उस्ताद सीए फ़र्मों का एक करिश्मा है जिसके ज़रिये भाजपा सरकारों ने घूस के तौर पर जो अरबों रुपये वसूले थे, काले धन के उस विशाल ख़ज़ाने को इलेक्टोरल बॉंड के ज़रिये सफ़ेद बना दिया है ।

इसके अलावा, भाजपा ने इन बॉंड के ज़रिये पूँजीपतियों के लिये एक ऐसा ज़रिया तैयार कर दिया ताकि वे अपनी कंपनियों से पैसे निकाल कर उन्हें कंगाल बना कर अपने खुद के घरों को भर सके । कहते हैं कि भाजपा के दलाल बाज़ार से सिर्फ़ दस प्रतिशत क़ीमत पर ये इलेक्टोरल बॉंड ख़रीदा करते हैं । बाक़ी की नब्बे प्रतिशत राशि बॉंड देने वालों को ब्लैक मनि बना कर लौटा दी जाती है ।

इसके साथ ही धंधेबाज़ लोग बांड ख़रीद कर दस प्रतिशत ज़्यादा क़ीमत पर भी भाजपा के दलालों को बॉंड बेच रहे थे । भाजपा ने बेनामी शेल कंपनियों के संजाल के लिये इसके जरिये आमदनी का एक नया रास्ता तैयार कर दिया । अर्थात् बेनामी कंपनियों के खिलाफ अभियान चलाने का दिखावा करने वाले ही वास्तव में उनके फलने-फूलने का रास्ता बना रहे हैं !

इस प्रकार, जिस पार्टी की सरकार डिजिटलाइजेशन के ज़रिये बाजार से ब्लैक मनि को ख़त्म करने की बातें कर रही थी, वहीं पार्टी खुद इलेक्टोरल बॉंड की ख़रीद के ज़रिये हर रोज़ ब्लैक मनि तैयार करने के काम में लगी हुई है । और इसके साथ ही, इनके ज़रिये घूस के रुपयों को अपने खातों में जमा करके ब्लैक मनि को खपाने का काम कर रही है !

इस हिसाब से देखें तो बहुत मुमकिन है कि इलेक्टोरल बॉंड के ज़रिये जुटाये गये भाजपा के छ: हज़ार करोड़ में से वास्तव में भाजपा को सिर्फ़ छ: सौ करोड़ रुपये ही मिले हो, बाक़ी से घूस के रुपयों का जमा-खर्च किया गया हो ।

इसीलिये, कुल मिला कर भारत के इलेक्टोरल बॉंड को किसी शासक दल द्वारा इजाद किया गया ब्लैक मनि की धंधेबाजी का दुनिया का सचमुच का एक नायाब औज़ार कहा जा सकता है । इससे पता चलता है कि मोदी-शाह की भाजपा किस प्रकार के धंधेबाज़ों के एक गिरोह का रूप ले चुकी है । आज जब देश में निवेश का भारी अकाल पड़ा हुआ है, उस समय कंपनियों को दरिद्र बनाने के इस हथियार ने निवेश को कितना प्रभावित किया है, इसका सही-सही अनुमान लगाना कठिन है । लेकिन संकट में फँसी हुई कंपनियों से रुपये निकाल कर भाग खड़े होने वालों के लिये इलेक्टोरल बॉंड निश्चित तौर पर किसी वरदान से कम महत्वपूर्ण नहीं साबित हुआ होगा ।

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