गुरुवार, 19 मार्च 2015

आज मार्कण्डेय भाई की पुण्यतिथि है ।


मार्कण्डेय ऐसे लेखक थे जिनके साहित्य ही नहीं, मनुष्य संबंधी मानदंड भी उनके निकट के हर किसी के लिये एक बड़ी चुनौती हुआ करते थे । वे सिर्फ पाठ के नहीं, इंसान के भी आर-पार देख लेने वाली पैनी नजर के धनी थे । इसीलिये साहित्य में हो या सामाजिक व्यवहार में, मिथ्याचार उनकी आँखों से बच नहीं सकता था । उनकी उपस्थिति ही बौने लोगों को असहज कर देने के लिये काफी हुआ करती थी । अपनी नुकीली मुस्कान के साथ वे कभी अशालीन नहीं होते थे, लेकिन सामने वाले को उसकी स्थिति का अंदाज ज़रूर दिला देते थे । ' कहानी की बात' की उनकी टिप्पणियों को देखिए -उनकी पकड़ और शैली, बल्कि पूरी जीवन-शैली तक का अंदाज देने के लिये काफी है । इसीलिये उनके इर्द-गिर्द ही अपनी कुंठा की भड़ास निकालने वाले छिछले लोगों की भी कमी नहीं रही।
हमारा सौभाग्य रहा कि लेखन में हमारा बिस्मिल्ला ही ऐसे गुरुओं के ज़रिये हुआ । डा.महादेव साहा, मार्कण्डेय, चंद्रबली सिंह, चंद्रभूषण तिवारी, हरीश भादानी, इसराइल - ये सभी अपने-अपने प्रकार के परफ़ेक्शनिस्ट और हमारे प्रकृत गुरू, मित्र और परिवार के अभिन्न सदस्य भी । आज भी लिखते वक़्त हमारी क़लम की नोक पर इन सबका दबाव हमेशा बना रहता है । मार्कण्डेय भाई की पुण्य तिथि को याद दिलाने के लिये उनकी बेटी Swasti Thakur का और उन्हें याद करने के लिये अन्य सबका तहे-दिल से आभारी हूँ ।
'आज मार्कण्डेय भाई की पुण्यतिथि है ।
मार्कण्डेय ऐसे लेखक थे जिनके साहित्य ही नहीं, मनुष्य संबंधी मानदंड भी उनके निकट के हर किसी के लिये एक बड़ी चुनौती हुआ करते थे । वे सिर्फ पाठ के नहीं, इंसान के भी आर-पार देख लेने वाली पैनी नजर के धनी थे । इसीलिये साहित्य में हो या सामाजिक व्यवहार में, मिथ्याचार उनकी आँखों से बच नहीं सकता था । उनकी उपस्थिति ही बौने लोगों को असहज कर देने के लिये काफी हुआ करती थी । अपनी नुकीली मुस्कान के साथ वे कभी अशालीन नहीं होते थे, लेकिन सामने वाले को उसकी स्थिति का अंदाज ज़रूर दिला देते थे । ' कहानी की बात' की उनकी टिप्पणियों को देखिए -उनकी पकड़ और शैली, बल्कि पूरी जीवन-शैली तक का अंदाज देने के लिये काफी है । इसीलिये उनके इर्द-गिर्द ही अपनी कुंठा की भड़ास निकालने वाले छिछले लोगों की भी कमी नहीं रही।
हमारा सौभाग्य रहा कि लेखन में हमारा बिस्मिल्ला ही ऐसे गुरुओं के ज़रिये हुआ । डा.महादेव साहा, मार्कण्डेय, चंद्रबली सिंह, चंद्रभूषण तिवारी, हरीश भादानी, इसराइल - ये सभी अपने-अपने प्रकार के परफ़ेक्शनिस्ट और हमारे प्रकृत गुरू, मित्र और परिवार के अभिन्न सदस्य भी । आज भी लिखते वक़्त हमारी क़लम की नोक पर इन सबका दबाव हमेशा बना रहता है । मार्कण्डेय भाई की पुण्य तिथि को याद दिलाने के लिये उनकी बेटी :Swasti Thakur] का और उन्हें याद करने के लिये अन्य सबका तहे-दिल से आभारी हूँ ।'

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