रविवार, 16 अक्तूबर 2016

डोनाल्ड ट्रम्प : संसदीय जनतंत्र में बुराई का एक नायाब चरित्र


-अरुण माहेश्वरी

दुनिया के संसदीय जनतंत्र के इतिहास में अब तक एक से एक पतित नेता हुए हैं। एक तरह से कहा जा सकता है कि हिटलर भी इसी जनतंत्र की प्रक्रिया का इस्तेमाल करके ही सत्ता पर आया था। इटली का मीडियाशाह सिल्वियो बेरलुस्कोनी जैसा पतित आदमी भी हुआ है जो कई मर्तबा वहां का प्रधानमंत्री बना और अपने पीछे न जाने कितने सेक्स स्कैंडल के किस्से छोड़ गया। 2011 में जब वह अंतिम बार प्रधानमंत्री पद से हटा, उसके दो साल बाद ही उसे करों में धांधली के मामले में इटली की अदालत ने सजा सुनाई थी।

दुनिया भर में ऐसे अनेक शैतान नेताओं के किस्सों के बावजूद आज अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिये रिपब्लिकन पार्टी का जो उम्मीदवार है, डोनाल्ड ट्रम्प, वह एक ऐसा जंतु है जिसे संसदीय राजनीति का अपने प्रकार का एक नायाब चरित्र कहा जा सकता है। वह खुले आम यह कहते हुए पकड़ा गया है कि किसी भी सुंदर स्त्री को पास में देखते ही वह उस पर झपट पड़ता है, उसके गुप्तांगों को दबोच लेता है। टेलिविजन पर उसके इस कथन का जब वीडियो प्रसारित हुआ तो उसने उसकी सत्यता से इंकार नहीं किया, बल्कि पूरी धृष्टता से कहा कि ये बाते बंद कमरे में की गई बाते हैं। बाद में जब कई स्त्रियों ने ‘न्यूयार्क टाइम्स’ जैसे अखबारों में बयान दिये कि वे खुद ट्रम्प की ऐसी पाशविक हरकतों का शिकार बन चुकी है, उन्होंने अपने साथ घटी घटनाओं का पूरा ब्यौरा तक दिया। तब, इन बयानों की प्रतिक्रिया में ट्रम्प कहता है कि इन सारी महिलाओं में ऐसा कोई आकर्षण ही नहीं है कि वह उन पर इस प्रकार झपट पड़े। अर्थात, औरतों पर झपटने की अपनी मानसिकता को स्वीकारने में उसे जरा भी शर्म नहीं है।
और तो और, हाल में हिलेरी क्लिंटन के साथ हुई दूसरी राष्ट्रीय बहस के बाद उन्होंने हिलेरी के बारे में भी ऐसा बयान दिया जो प्रकारांतर से हिलेरी के शरीर पर केंद्रित था, कि उसने मुझे जरा भी आकर्षित नहीं किया !

इसप्रकार के जघन्य मनोरोग के अलावा, झूठ बोलना तो उसकी आदत में इसप्रकार शरीक है कि लोगों को लगने लगा है कि ट्रम्प के लिये सच बोलना ही सबसे दुष्कर काम है। इसपर अभी दो दिन पहले ही अपनी एक टिप्पणी में हमने चर्चा की थी। ट्रम्प और उसके समर्थकों की इन अनर्गल बातों से पीड़ित होकर ‘इकोनोमिस्ट’ ने तो अपने एक अंक (10-16 सितंबर 2016) में चर्चा का प्रमुख विषय ही ‘झूठ बोलने की कला’ बनाया था। इसमें ‘इकोनोमिस्ट’ ने ट्रम्प के संदर्भ में ही लिखा था कि ‘‘राजनीति में गैर-ईमानदारी नई चीज नहीं है; लेकिन अभी कुछ राजनीतिज्ञ जिस प्रकार झूठ बोलते हैं, वे कितने खतरनाक साबित हो सकते हैं, यह चिंताजनक है।’’




ट्रम्प के चरित्र के इन सभी पतित रूपों के खुल कर सामने आने के बाद राष्ट्रपति ओबामा ने उसके बारे में बिल्कुल सही कहा है कि ऐसा आदमी तो किसी मोदीखाने में नौकरी पाने के लायक भी नहीं है, राष्ट्रपति बनना तो बहुत दूर की बात है। ओबामा ने इस बात पर भी गहरा असंतोष जाहिर किया है कि रिपब्लिकन पार्टी के कई बड़े नेताओं ने ट्रम्प से अपना समर्थन हटा लेने के बावजूद आज तक रिपब्लिकन पार्टी की ओर से अधिकारिक तौर पर ट्रम्प की इन हरकतों के बारे में कोई बयान नहीं आया है। ओबामा ने अमेरिकी मतदाताओं से कहा है कि ट्रम्प जैसे लोगों का अब एक मात्र उद्देश्य यह रह गया है कि वे पूरे राजनीतिक वातावरण को अपनी झूठ और दूसरी गंदी बातों से इतना दूषित कर दें कि जिससे आम लोगों का जनतंत्र नाम की चीज पर से ही भरोसा उठ जाए। वे अपने इस उद्देश्य में सफल न हो, इसीलिये ओबामा ने लोगों से किसी भी हालत में मतदान से विरत न रहने की अपील की है।

अमेरिका में ये चुनाव 8 नवंबर को होने वाले है अर्थात अभी भी कुछ दिन बाकी है। इसी बीच अमेरिकी प्रथा के अनुसार अभी वहां दोनों उम्मीदवारों के बीच एक और, तीसरी राष्ट्रीय बहस होने वाली है। इस दौरान वहां और कितना कीचड़ उछलने वाला है, कोई नहीं कह सकता। ट्रम्प इसी अर्थ में संसदीय जनतंत्र का एक नायाब चरित्र है क्योंकि उसकी हरचंद कोशिश अब जनतंत्र मात्र को ही एक घृणित चीज साबित करने की है और वह चाहता है कि जब लोगों में इस प्रकार की असहायता का भाव आ जाए और लगने लगे कि उनके सामने निकृष्टों के बीच चयन के अलावा कोई चारा नहीं रह गया है, ऐसे में आश्चर्य नहीं होगा कि लोग निकृष्टों में सबसे निकृष्ट के चयन को ही उचित मानने लगे। इसप्रकार, ट्रम्प नागरिकों के चयन के बुनियादी मानदंडों को ही पूरी तरह से उलट-पुलट देना चाहता है।
इस अर्थ में कहा जा सकता है कि आज की दुनिया में मनुष्यों की अर्जित जनतांत्रिक चेतना को ही उलट देने के एक सबसे जघन्य प्रयास का प्रतीक है - डोनाल्ड ट्रम्प।

गनीमत यही है कि पूरे अमेरिका से मिल रहे अनुमानों के अनुसार हर बीतते दिन ट्रम्प का ग्राफ गिरता चला जा रहा है। खास तौर पर औरतों में तो उसको भारी  नफरत पैदा हो चुकी है। फिर भी, ट्रम्प को जनतंत्र में एक बड़ी बुराई के रूप में हमेशा याद किया जायेगा।


 https://www.youtube.com/watch?v=6UkAjnx7x1g

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