गुरुवार, 1 सितंबर 2016

रिलायंस की जियो की पहल पर एक विचार



आज रिलायंस की जियो की अनोखी पेशकश ने भारत के टेलीकॉम सेक्टर में एक नई क्रांति का सूत्रपात किया है ।  इससे इस क्षेत्र में एक ऐसा भूचाल आयेगा, जिसके परिणामों के ओर-छोर का कोई अंदाज नहीं लगा सकता है । यदि हम आज के समय को जीवन और संस्कृति के माध्यमीकरण का समय मानते हैं, अगर हम यह समझते है कि आज के आर्थिक जगत का सबसे बड़ा पण्य संस्कृति और मनोरंजन हैं, तो जाहिर है कि रिलायंस की इस पहल का असर सिर्फ टेलीकॉम के उद्योग जगत तक ही सीमित नहीं रहेगा । यह हमारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को, यहाँ तक कि सभी उत्पादन संबंधों को भी अभावनीय गति के साथ प्रभावित करेगा ।

रिलायंस के इस क़दम से आज के आर्थिक जगत का सबसे बड़ा सूत्र कि अब प्रतिद्वंद्विता को मान कर चलने का समय नहीं रहा है, जो सर्वश्रेष्ठ है, वही एक और अकेला टिकेगा, अब भारत में और ज्यादा प्रत्यक्ष दिखाई देने लगेगा । रिलायंस ने अपनी पूरी ताक़त झोंक कर इस क्षेत्र के बाक़ी सभी खिलाड़ियों के अस्तित्व को खुली चुनौती दी है ।

रिलायंस के इस क़दम से हम अपने खुद के अनुभव से आज के समय के इस सबसे बड़े सत्य को और भी साफ़ रूप में प्रत्यक्ष करेंगे कि जीवन की परिस्थितियों में आगे ऐसे-ऐसे भारी परिवर्तनों  की स्थितियाँ और संभावनाएँ बन रही हैं जिनकी हम पहले बिना किसी सामाजिक क्रांति के कल्पना भी नहीं कर सकते थे ।

इस परिस्थिति ने आज के दार्शनिकों-विचारकों के सामने जैसे मार्क्स के कथन के विपरीत यथार्थ को बदलने के बजाय यथार्थ की व्याख्या करने की एक बड़ी चुनौती और ज़रूरत पेश कर दी है । यह ज़िम्मेदारी क्रांतिकारी राजनीतिक दलों की भी उतनी ही है । अन्यथा, जीवन का यथार्थ संभवत: उनकी सोच से कोसों आगे रहेगा, और वे पुरातनपंथी संरक्षणवादियों जैसे किसी और ही लकीर को पीटते प्रतीत होने लगेंगे ।

आज का आदमी अपने दैनंदिन व्यवहारिक जीवन में अपनी सोच से बहुत ज्यादा आगे बढ़ा हुआ होता है । जीवन में वह वैश्विक होता है लेकिन विचारों में नितांत स्थानिक, जातिवादी, संप्रदायवादी । हेगेल कहते थे कि जब तक किसी विचार या ज्ञान को व्यक्त नहीं किया जाता है, वह निर्मित नहीं होता है । नये विचार और आज के समय के बारे में ज्ञान की निर्मिति की यह ज़िम्मेदारी लेखकों और विचारकों को उठानी है । मनुष्यों को उनकी अपनी मुक्त मानवीय प्राणीसत्ता की चेतना प्रदान करने का इससे भिन्न कोई दूसरा रास्ता नहीं है ।

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