गुरुवार, 13 मार्च 2014

नेताओं की धातु

1975 के आंतरिक आपातकाल के बाद '77 के आमचुनाव में आख़िरी वक़्त पर इंदिरा कांग्रेस को त्यागने का जनजीवन राम का फ़ैसला, '77 के चुनाव में कांग्रेस की पराजय को पूरी तरह से सुनिश्चित करने वाला फ़ैसला था ।

अभी भाजपा के अंदर जो भारी युद्ध चल रहा है, नरेन्द्र मोदी के उत्थान ने आडवाणी, जोशी, सुषमा सहित उसके कई वरिष्ठ नेताओं को जिस प्रकार चिन्तित और उत्तेजित कर रखा है, इसमें अंतिम समय में उसी प्रकार की कोई 'जगजीवन राम परिघटना' उभर कर सामने आयें तो कोई अचरज की बात नहीं होगी । ऐसा होने पर भाजपा के बुरी तरह से हारने का रास्ता साफ़ होगा ।

यह समय भाजपा के असंतुष्ट वरिष्ठ नेताओं की धातु की पहचान का भी समय है । देखना है, इनमें से कितनों अपने लंबे राजनीतिक जीवन से जगजीवन राम जैसे राष्ट्रीय नेताओं की तरह की आत्मिक शक्ति और भविष्य दृष्टि को अर्जित किया है !

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