रविवार, 16 मार्च 2014

मित्र संवाद

एक मित्र ने लिखा है, "पान के टपरे--डॉ.का दवाखाना--सड़क के ढाबे--रेल के भीड़ भरे डब्बे --ये इलेक्ट्रोनिक मीडिया नहीं हैं.-----जरा इनका भी जायका लीजिये ----आपको सिर्फ नमो नमो ही मिलेगा श्री अरुण जी माहेश्वरी"।

हमारा जवाब था - "कोई भी कोरा जाप विवेक-शून्यता के अलावा और कुछ नहीं दे सकता। नमो क्यों रहस्य है? क्यों किसी साक्षात्कार में सीधी भागीदारी नहीं करता? क्योंकि रहस्यों की ही पूजा-अर्चना की जाती है। सच तो विवेक पैदा करता है, अंध-आस्था नहीं। तानाशाहों को अंधता चाहिये, विवेक और बुद्धि नहीं। 

हमें तो विश्वास है कि मीडिया की झूठों के आवरण को चीर कर जैसे-जैसे नमो और उसके गुजरात का सच जाहिर होगा, इस जाप के अलावा और ही कुछ सुनाई देने लगेगा। 

नमोवादी इसीलिये अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी से भारी नफरत करते हैं।"

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एक मित्र ने लिखा :‘‘ जिसे आप 'मोदी भोंपू' कह रहे हैं, वह दरअसल सिर्फ मोदी के अतिशय रूप से बढ़ चुके प्रभाव का प्रभाव है ...... वगरना यदि आपने ध्यान दिया हो तो बहुत कम अवसरों पर किसी भी न्यूज चैनल ने मोदी की तारीफ़ की है. और आपसे यह उम्मीद तो की ही जा सकती है कि आप खबर दिखाने और तारीफ़ करने में फर्क समझते होंगे ???"

हमारा जवाब था : ‘‘इस सच को कभी नहीं भूलना चाहिये, यह चुनाव का समय है। मीडिया एक व्यवसाय है और यह उनके लिये सबसे अधिक मुनाफा बंटोरने का मौसम भी है। आपकी बात से ही जाहिर हो जाता है कि और समय में यही मीडिया मोदी की बुरी तरह निंदा करता रहा है। आज अचानकउनके प्रति क्यों इतना प्रेम ? क्या यह सिर्फ जमीनी सचाई का प्रतिबिंब है ? क्या सचमुच दूसरी सभी पार्टियों के नेता सोये हुए हैं? फिर इस मीडिया पर सिर्फ मोदी और भाजपा का प्रचार ही क्यों ?
"अंबानियों-अडानियों की बात ऐसे ही नहीं आई है। यह पैसों की भूमिका की बात है। उनके पास पैसा है, मीडिया है और उनका नग्न समर्थन है नरेंद्र मोदी को। वर्ना सच यही है कि पिछले चुनाव में भाजपा को 18 प्रतिशत मत मिले थे, इसबार उसमें एक प्रतिशत की भी बढ़ोतरी नहीं होगी। मोदी और भाजपा भारतीय जनतंत्र की किसी भी बिमारी का इलाज नहीं है।“

फिर उन्होंने लिखा : ‘‘मोदी को मुदा बना कर भाजपा की रणनीति को सफल बनाने के लिए आप बधाई के पात्र हैं. रहा सवाल आपकी प्रतिशत वोटों की थ्योरी का, तो वाह जरूरत बाद में पड़ेगी तभी आंकलन करेंगे !”

हमने कहा : ‘‘सांप्रदायिक ताकतों की शक्ति माने जाने वाले मोदी ही इस चुनाव में भाजपा की सबसे बड़ी कमजोरी साबित होंगे।“

उनका जवाब :‘‘ मोदी को सांप्रदायिक ताकतों की शक्ति आपके बताने से कुछ नहीं होता, आपकी पूरा ऊर्जा सिर्फ मोदी विरोध में खर्च हो रही है ...... परिणाम आने दीजिये !”

फिर हमने लिखा : ‘‘हम निरुपाय है। 2002 को कभी भूल नहीं सकते। हिटलर के यहूदी-सफाये की यादों को ताजा कर देता है। इसलिये और भी क्योंकि आरएसएस की विचारधारा में इसप्रकार के संहार का प्राविधान है। गुरु गोलवलकर के शब्दों में, 'यही अल्पसंख्यकों की समस्या के बारे में आजमाया हुआ विचार है। यही एकमात्र तर्कसंगत और सही समाधान है।’
"मोदी ने गुजरात में वह किया और आरएसएस वालों का मानना है कि उसीकी वजह से मोदी गुजरात में लगातार जीत रहे हैं। मोदी के नेतृत्व में पूरे भारत के पैमाने पर किसी न किसी प्रकार से ऐसे ही किसी प्रयोग की आशंका है।“ 

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एक मित्र ने लिखा : hatash buddjeeviyo ki nayi asha apni khunnas nikalne ke liye ab kejari babu hain....yahi sare buddhjeevi hain jo congress ki mala japa karte the....enka na koi vichar hai na koi soch en sutriya karyakrum hai roz utho aur dhundo kisne kiya modi ke kh 

हमने लिखा : ‘‘ हम हताश है। आप प्रफुल्ल। 
2002 कइयों को हताश करता है, कइयों को प्रफुल्लित !
हताशा और प्रफुल्लता दोनों ही जीवन का सच है।“

उनका उत्तर था : 2002 ka godhra bhi kuch ko prafullit karta hai theek waise jaise 84 ka bada ped jo gira tha aur dharti thartharayi thi......congress ke ateet per dango ke dhero daag hai....67 saal baad bhi alpsankhyak basic needs se vanchit hain koun jimmedar hai?

हमारा प्रत्युत्तर : ‘‘ हमने तो 2002 को दो हिस्सों में नहीं बांटा। 
चलिये, आपने यह जरूर बता दिया कि उसका एक हिस्सा आपको खुशी देता है।“

आगे और : ‘‘ अल्पसंख्यकों के बारे में मोदी जी के पथ-प्रदर्शक आरएसएस का विचार :‘‘अपनी जाति और संस्कृति की शुद्धता बनाए रखने के लिए जर्मनी ने देश से सामी जातियों - यहूदियों का सफाया करके विश्व को चौंका दिया है। जाति पर गर्वबोध यहाँ अपने सर्वोच्च रूप में व्यक्त हुआ है। जर्मनी ने यह भी बता दिया है कि सारी सदिच्छाओं के बावजूद जिन जातियों और संस्कृतियों के बीच मूलगामी फर्क हों, उन्हें एक रूप में कभी नहीं मिलाया जा सकता। हिन्दुस्तान में हम लोगों के लाभ के लिए यह एक अच्छा सबक है।’’ 
‘‘यही अल्पसंख्यकों की समस्या के बारे में आजमाया हुआ विचार है। यही एकमात्र तर्कसंगत और सही समाधान है। सिर्फ यही राष्ट्रीय जीवन को स्वस्थ्य और निरापद रखता है।’’
मोदी जी उद्धार करेंगे अल्पसंख्यकों का !”

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