सोमवार, 24 मार्च 2014

चलो चित्त काशी


चाहते तो थे अपनी सशरीर उपस्थिति, वैसा ही कार्यक्रम भी बनाया था। लेकिन अरविंद केजरीवाल का जाना टला तो हमारा पहुंचना स्थगित ही होगया। लेकिन आज चित्त काशी पर टिका होगा। आज वहां केजरीवाल की पहली सभा होगी, उनका जनमत-संग्रह।

जगत-प्रसिद्ध प्राचीन नगरी काशी - सभी लिखित-अलिखित साक्ष्यों से भी प्राचीन। वेद, पुराण, उपनिषदों, महाभारत, रामायण, बौद्धायन श्रौतसूत्र, शांखायन श्रौतसूत्र, जातक कथाओं - कहां नहीं है उल्लेख इस कथित ‘मोक्षदायिनी पुरी’ का। रामानंद और कबीर का नगर, तुलसी का नगर, भारतेन्दु, प्रेमचंद और प्रसाद का शहर, रामचंद्र शुक्ल का शहर।

महाभारत में काशिराज ने पांडवों का, न्याय और नीति का साथ दिया था। आज के जनतांत्रिक समय में यह किसी तानाशाह, हिटलर का साथ नहीं दे सकती। यह किसी जन-संहार के नायक का साथ नहीं दे सकती।
काशी जितनी पुरानी उतने ही पुराने है यहां के महादेव। महाभारत तक में काशी में शिवोपासना का उल्लेख है। नरेन्द्र मोदी नामक शख्स ने इस महादेव को ही हर लेने के लिये धावा बोला है। वह कभी विजयी नहीं हो सकता।

इस चुनावी रण में काशी के मतों का समीकरण क्या है, इसे पढि़ये आज के जनसत्ता में प्रकाशित अंशुमान शुक्ल की रिपोर्ट 'आसानी से मैदान मारने नहीं देंगे केजरीवाल' में : http://epaper.jansatta.com/247840/Jansatta.com/Jansatta-Hindi-25032014#page/1/2

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