बुधवार, 19 अप्रैल 2017

खुल्लम-खुल्ला !



सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उमा भारती ने सबके सामने अपनी जिस प्रकार की अति-प्रसन्न और आह्लादित तस्वीर पेश की, 'खुल्लम-खुल्ला' से व्यक्त होने वाली नंगई की बातों से जिस प्रकार उनकी बाँछे खिली जा रही थी - वह सचमुच एक अद्भुत दृ्श्य था ! इस गेरुआ धारी को ज़रा भी अहसास नहीं है कि अपने किसी भी अपराधी कृत्य के लिये इस प्रकार झूम उठना उनके कौन से आत्म-प्रकाश का रूप है

वे सिर्फ इतना सा बयान करके मगन है कि उनके इसी कुकृत्य की वजह से वे आज सत्ता पर हैं लेकिन वे भूल जाती है कि अयोध्या में किये गये इस जघन्य अपराध के बाद भारत में दंगों-फसादों का जो सिलसिला शुरू हुआ उनमें हज़ारों मासूमों की जाने गईं थी, जाने कितने लोगों को उनके घरों से उजाड़ दिये गया था मुंबई बम विस्फोटों से लेकर गोधरा-गुजरात के दंगों की आग आज भी कहीं कहीं सुलग ही रही है आज तक देश के विकास की सारी प्राथमिकताएँ पटरी से उतरी हुई हैं  

इस नाचती-झूमती साध्वी को क्या इन गंभीर बातों का ज़रा सा भी बोध नहीं हैं ! ये आज मंत्री है और कह रही है, उन्हें अपने अपराधी कृत्यों पर गर्व है

देश के ऐसे आत्म-मुग्ध, अपने अपराधों के लिये इतराने वाले कर्णधार कभी कुछ भी रचनात्मक कर सकते हैं, इसमें हमेशा संदेह रहेगा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उमा भारती का यह अशालीन व्यवहार ही उनसे मंत्री बने रहने के नैतिक अधिकार को छीन लेता है  


पता नहीं, उन्हें अपने इस अशालीन व्यवहार की कोई क़ीमत चुकानी पड़ेगी, या आशंका के मुताबिक़ उल्टे उन्हें पुरस्कृत ही किया जायेगा

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