आज से नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू : एक ऐतिहासिक फ़ैसले की उम्मीद
-अरुण माहेश्वरी
नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट में आज कई लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हुई है । अब तक की सूचना के अनुसार इसमें सुप्रीम कोर्ट ने विचार के लिये जो प्रश्नावली तैयार की है, उससे जाहिर है कि इस विषय से जुड़े जनता के मूलभूत आर्थिक अधिकारों और स्वतंत्रता के सवाल विचार के विषय बनाये गये है ।
हम नहीं जानते इस विषय पर सुनवाई और निर्णय की प्रक्रिया में कितना समय लगेगा । लेकिन यह तय है कि सुप्रीम कोर्ट का इस विषय पर फ़ैसला एक उतना ही महत्वपूर्ण ऐतिहासिक फ़ैसला होगा जैसा जनता के मूलभूत अधिकारों के बारे में केशवानंद भारती वाला मामला माना जाता है । उस मामले में तेरह जजों की बेंच के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले ने किसी भी व्यक्ति के मूलभूत अधिकारों के क्षेत्र में सरकार या चुने हुए प्रतिनिधियों के दख़ल की लक्ष्मण रेखा को हमेशा के लिये तय करके राज्य की मनमानियों पर अंकुश लगाने का एक बड़ा काम किया था । इसी के आधार पर आज तक मानव-अधिकार संबंधी नागरिकों की स्वतंत्रता से जुड़े सारे विषय तय होते रहे हैं ।
मोदी सरकार ने रिजर्व बैंक के लीगल टेंडर को जिस प्रकार अपनी मनमानी का शिकार बनाया है, अर्थ-व्यवस्था के संचालन में रिज़र्व बैंक की विश्वसनीयता को ख़त्म करके अर्थ-व्यवस्था की जड़ों को हिला दिया है, यह स्वेच्छाचार कभी भी न्यायोचित नहीं माना जा सकता है ।
इसीलिये इस विषय में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय देश की अर्थ-व्यवस्था को किसी भी तुग़लक़ की सनक से हमेशा के लिये बचाने की एक स्थायी व्यवस्था का निर्णय होगा । सुप्रीम कोर्ट को प्राथमिकता के साथ, हर रोज सुनवाई करके यथाशीघ्र इस पर विस्तृत राय देने की ज़रूरत है ।
Kesavananda Bharati Sripadagalvaru and Ors. v. State of Kerala and Anr.
-अरुण माहेश्वरी
नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट में आज कई लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हुई है । अब तक की सूचना के अनुसार इसमें सुप्रीम कोर्ट ने विचार के लिये जो प्रश्नावली तैयार की है, उससे जाहिर है कि इस विषय से जुड़े जनता के मूलभूत आर्थिक अधिकारों और स्वतंत्रता के सवाल विचार के विषय बनाये गये है ।
हम नहीं जानते इस विषय पर सुनवाई और निर्णय की प्रक्रिया में कितना समय लगेगा । लेकिन यह तय है कि सुप्रीम कोर्ट का इस विषय पर फ़ैसला एक उतना ही महत्वपूर्ण ऐतिहासिक फ़ैसला होगा जैसा जनता के मूलभूत अधिकारों के बारे में केशवानंद भारती वाला मामला माना जाता है । उस मामले में तेरह जजों की बेंच के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले ने किसी भी व्यक्ति के मूलभूत अधिकारों के क्षेत्र में सरकार या चुने हुए प्रतिनिधियों के दख़ल की लक्ष्मण रेखा को हमेशा के लिये तय करके राज्य की मनमानियों पर अंकुश लगाने का एक बड़ा काम किया था । इसी के आधार पर आज तक मानव-अधिकार संबंधी नागरिकों की स्वतंत्रता से जुड़े सारे विषय तय होते रहे हैं ।
मोदी सरकार ने रिजर्व बैंक के लीगल टेंडर को जिस प्रकार अपनी मनमानी का शिकार बनाया है, अर्थ-व्यवस्था के संचालन में रिज़र्व बैंक की विश्वसनीयता को ख़त्म करके अर्थ-व्यवस्था की जड़ों को हिला दिया है, यह स्वेच्छाचार कभी भी न्यायोचित नहीं माना जा सकता है ।
इसीलिये इस विषय में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय देश की अर्थ-व्यवस्था को किसी भी तुग़लक़ की सनक से हमेशा के लिये बचाने की एक स्थायी व्यवस्था का निर्णय होगा । सुप्रीम कोर्ट को प्राथमिकता के साथ, हर रोज सुनवाई करके यथाशीघ्र इस पर विस्तृत राय देने की ज़रूरत है ।
Kesavananda Bharati Sripadagalvaru and Ors. v. State of Kerala and Anr.
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